डेस्क। आज यानि रविवार को साल का दूसरा और आखिरी चंद्र ग्रहण लगेगा। यह पूर्ण ग्रहण होगा और इसे पूरे देश में कहीं पर भी देखा जा सकेगा। यह 2022 के बाद भारत में दिखने वाला पूर्ण और सबसे लंबा चंद्र ग्रहण (blood moon) होगा। इस बार करीब 82 मिनट तक पूर्ण चंद्र ग्रहण रहेगा।
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इसी दौरान धरती, सूर्य और चांद के बीच में आ जाती है, जिससे चांद पर धरती की छाया पड़ती है। इसी वजह से चांद का रंग लाल या फिर नारंगी दिखाई देने लगता है। इसी को ब्लड मून कहा जाता है। चलिए ब्लड मून (blood moon) और चांद सालभर में आखिर कितने रंग बदलता है, इस बारे में समझें।
ब्लड मून (blood moon) यानि लाल चांद, एक बेहद अद्भुत खगोलीय नजारा है जो पूर्ण चंद्रग्रहण के दौरान दिखाई देता है। जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है, तो सूर्य की सीधी रोशनी चांद तक नहीं पहुंच पाती है। इस स्थिति में चांद पर पूरी तरह अंधेरा न होकर वह गहरे लाल या तांबे जैसे रंग में बदल जाता है। असल में चांद खुद कोई रंग नहीं बदलता, उसका असली रंग ग्रे यानी धूसर है।

वातावरण में मौजूद धूल, नमी और गैसें रोशनी को बिखेरती हैं और यही वजह है कि चांद कभी सफेद, कभी पीला, नारंगी या लाल दिखाई देता है। जब चांद आसमान में ऊंचा होता है तो यह हमें ज्यादा सफेद और चमकदार दिखता है लेकिन जैसे ही यह क्षितिज के पास आता है, तब इसकी रोशनी को मोटी वायुमंडलीय परत से गुजरना पड़ता है। इस दौरान नीली रोशनी ज्यादा बिखर जाती है और चांद पीला या नारंगी नजर आने लगता है।
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