लद्दाख। लद्दाख (Ladakh) में पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग और तेज हो गई है। लेह में प्रदर्शन किया जा रहा है क्योंकि लोगों की मांग है कि केंद्र शासित प्रदेश को छठे शेड्यूल के तहत विशेष दर्जा और पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए लेकिन आज हम बात करने जा रहे हैं की पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने के बाद क्या फायदा होता है?
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पूर्ण राज्य का दर्जा किसी प्रदेश को पूरा राज्य बनाने का अधिकार होता है। इसका मतलब है कि प्रदेश की अपनी विधान सभा, मुख्यमंत्री और राज्य सरकार होती है, जो अपने राज्य के नियम और फैसले खुद बनाती है। राज्य अपने ज्यादातर काम खुद करता है और केंद्र सरकार केवल कुछ मामलों में मदद या नियंत्रण करती है। भारत के 28 राज्य पूर्ण राज्य का दर्जा रखते हैं, जबकि केंद्र शासित प्रदेश जैसे लद्दाख और दिल्ली पर सीधा केंद्र सरकार का नियंत्रण होता है और उन्हें यह पूरा अधिकार नहीं मिलता।

भारतीय संविधान के अनुच्छेद तीन के तहत संसद को नए राज्य बनाने या फिर मौजूद राज्यों को बदलने का पूरा अधिकार है। इस प्रक्रिया में कई चरण होते हैं। सबसे पहले स्थानीय समूह या फिर राजनीतिक दल द्वारा यह मांग उठाई जाती है। इसके बाद इन मांगों को केंद्र सरकार के पास भेजा जाता है। केंद्र मंत्रिमंडल इन अनुरोधों की समीक्षा करता है और उसके बाद राष्ट्रपति को भेजता है।
इसके बाद संसद में एक पुनर्गठन विधेयक पेश किया जाता है और जब दोनों सदन इसे मंजूरी दे देते हैं तो नए राज्य का दर्जा लागू हो जाता है। राज्य सरकार होने से कोई भी राज्य अपने सामाजिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक चीजों के मुताबिक अपने कानून और नीतियों को बना सकता है।
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