नई दिल्ली। डोनल्ड ट्रंप के एक बड़े फैसले ने दुनियाभर के पेशेवरों को झटका दिया है। 21 सितंबर से प्रभावी नए H-1B वीजा आवेदनों के लिए 100,000 डॉलर (लगभग 88 लाख रुपये) का भारी-भरकम शुल्क लागू कर दिया गया है। लेकिन लोगों के पास दो तरह के वीजा का ऑप्शन बाकी है।
यह भी पढ़ें-क्या होता है और किन लोगों को मिलता है H1B वीजा?
इनमें L1 (इंट्राकंपनी ट्रांसफर्स) और O1 (असाधारण योग्यता वाले लोगों के लिए) वीजा शामिल हैं। O1 असल में एक स्किल बेस्ड वीजा है। O1 रूट औसत लागत H-1B वीजा के आठवें हिस्से से थोड़ी अधिक यानी 12,000 डॉलर (करीब 10.6 लाख रुपये) है। इसमें सालाना वीजा की कोई लिमिट नहीं है, कोई लॉटरी नहीं है और इसकी स्वीकृति दर 93% है।
O1 में एम्प्लॉयर्स पैसे बचाते हैं और केवल उन्हीं लोगों के लिए आवेदन करते हैं जिन्होंने अपने कौशल को बेहतर बनाने और यह साबित करने के लिए कड़ी मेहनत की है कि वे वास्तव में प्रतिभाशाली हैं। O1 को 6 साल की H-1B सीमा से आगे भी बढ़ाया जा सकता है। इतना ही नहीं यह EB-1A ग्रीन कार्ड की ओर एक कदम होता है।

इसी तरह L1, जो पूरी तरह से एम्प्लॉयर से जुड़ा होता है, की लागत औसतन $7000 (6.17 लाख रुपये) यानी H-1B वीजा की फीस के दसवें हिस्से से भी कम है। USCIS के आंकड़ों के अनुसार, FY24 में सभी L1 पास किए गए वीजाओं में भारतीयों का हिस्सा 26% (71,799) था। O1 कैटेगरी में, FY24 में 19,457 वीजा जारी किए गए।
हालाँकि, L1 और O1, H1B के डायरेक्ट, वन-फॉर-वन रिप्लेसमेंट्स नहीं हैं। L1 वीजा केवल उन्हीं कर्मचारियों के लिए उपलब्ध है जिन्होंने किसी कंपनी की किसी योग्य अंतरराष्ट्रीय शाखा में पिछले तीन वर्षों में से कम से कम एक वर्ष तक काम किया हो।
Tag: #nextindiatimes #H1BVisa #DonaldTrump