डेस्क। दिवाली के लिए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-NCR में ग्रीन पटाखों की इजाजत दे दी है। कोर्ट ने 18 से 21 अक्टूबर तक ग्रीन पटाखों (Green Cracker) के इस्तेमाल की अनुमति दे दी है। कोर्ट ने कहा है कि ग्रीन पटाखे सुबह 6 से 7 बजे और रात 8 से 10 बजे तक फोड़े जा सकते हैं। कोर्ट ने पुलिस को निर्देश दिया है कि केवल QR कोड वाले प्रमाणित पटाखे ही बिकें। बाहर से पटाखे लाने पर भी सख्त पाबंदी रहेगी।
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इन सबके बीच आइए यह समझ लेते हैं कि ग्रीन पटाखा क्या होता है, इसकी कीमत क्या होती है? एक्सपर्ट्स का कहना है कि इन पटाखों में कम हानिकारक रासायनिक पदार्थों का इस्तेमाल किया जाता है। इनमें सल्फर और नाइट्रोजन की मात्रा कम होती है। यही कारण है कि इनसे धुआं और शोर दोनों कम निकलते हैं। ये पूरी तरह प्रदूषण-रहित नहीं हैं। इनसे आम पटाखों की तुलना में 25 से 30 फीसदी कम प्रदूषण होता है।

नॉर्मल पटाखों में बैरियम नाइट्रेट, पोटैशियम क्लोरेट और पोटैशियम परमैंगनेट का इस्तेमाल किया जाता है। ग्रीन पटाखों में इन चीजों को इस्तेमाल नहीं किया जाता है या फिर बेहद कम मात्रा में यूज किया जाता है। कई ग्रीन पटाखों में नाइट्रोजन-आधारित ऑक्सिडाइजर और कम धुंआ छोड़ने वाले बाइंडर का उपयोग किया जाता है।
असली ग्रीन पटाखों को पहचानने के लिए CSIR-NEERI द्वारा प्रमाणित QR कोड या ग्रीन लोगो दिया जाता है। ग्राहक इस QR कोड को स्कैन करके यह जान सकते हैं कि यह पटाखा वास्तव में ग्रीन है या नहीं। अब बात कीमत की करें तो ग्रीन पटाखे आम पटाखों से थोड़ा महंगे हैं। ग्रीन पटाखों की कीमत 400 रुपए या उससे ज्यादा तक होती है।
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