स्पोर्ट्स डेस्क। क्रिकेट भले ही ‘जेंटलमैन गेम’ कहा जाता हो लेकिन मैदान का दबाव अक्सर खिलाड़ियों की भाषा पर असर डाल देता है। कई बार ऐसा भी हुआ है कि एक खराब ओवर, आउट होने की हताशा या विपक्षी टीम की नोकझोंक खिलाड़ी को ऐसे शब्दों तक ले आती है जिन्हें टीवी पर बीप से ढक दिया जाता है। दर्शकों को लगता है कि यह बस एक पल की गर्मी है लेकिन अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद यानी ICC की नजर में यह मामला बेहद गंभीर है।
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खासतौर पर गाली-गलौज या अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल सीधे आचार संहिता के उल्लंघन में आता है। ICC के नियम खिलाड़ियों को चार अलग-अलग लेवल में सजा का दायरा बांटते हैं। भाषा से जुड़े अधिकतर मामले लेवल 1 और लेवल 2 में आते हैं। लेवल 1 में खिलाड़ी को डांट-फटकार या हल्की मॉनिटरी पेनल्टी मिल सकती है लेकिन लेवल 2 में मामला थोड़ा भारी पड़ जाता है।

इस श्रेणी में आमतौर पर अपमानजनक भाषा, गाली देकर विरोधी को उकसाना, अंपायर के फैसले पर अपशब्द कहना या किसी तरह की अशोभनीय टिप्पणी करना शामिल होता है। सबसे पहले बात करते हैं अशोभनीय भाषा या गाली देने पर मिलने वाली संभावित सजा की। लेवल 1 के अंतर्गत आने वाले अपराध में खिलाड़ी की मैच फीस का 50% तक काटा जा सकता है, साथ ही 1 डिमेरिट प्वाइंट जोड़ दिया जाता है।
यह डिमेरिट प्वाइंट अगले दो साल तक खिलाड़ी की प्रोफाइल में सक्रिय रहता है और दोबारा गलती होने पर आगे की सजा तय करने में भूमिका निभाता है। यह सजा मामूली लग सकती है लेकिन दो-तीन घटनाएं मिलकर खिलाड़ी को सीधे बैन के करीब पहुंचा देती हैं।
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