डेस्क। हर देश का अपना संविधान और न्यायिक ढांचा होता है। भारत, अमेरिका और कई अन्य देशों में जब भी अदालत की बात होती है तो सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का नाम सामने आता है। यह संस्था न केवल संविधान की रक्षा करती है बल्कि बड़े विवादों और ऐतिहासिक फैसलों का निपटारा भी करती है लेकिन दुनिया में कई देश ऐसे हैं जहां सुप्रीम कोर्ट नाम की संस्था नहीं है।
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फ्रांस:
फ्रांस में सबसे बड़ी अपील की अदालत को ‘कोर्ट ऑफ कैसेशन’ कहते हैं। यह निचली अदालतों के फैसलों की जांच करती है। संविधान से जुड़े मामलों के लिए ‘कॉन्स्टिट्यूशनल काउंसिल’ है। यह दो अलग-अलग संस्थाएं हैं, जो सुप्रीम कोर्ट जैसे एक नाम से नहीं जानी जातीं।
रूस:
रूस में ‘सुप्रीम कोर्ट ऑफ रशियन फेडरेशन’ सामान्य मामलों को देखता है और ‘कॉन्स्टिट्यूशनल कोर्ट ऑफ रशियन फेडरेशन’ संविधान से जुड़े मामलों को।
जर्मनी:
जर्मनी में सर्वोच्च न्यायिक व्यवस्था दो स्तरों पर बंटी है। जर्मनी में सर्वोच्च न्यायिक संस्था को ‘फेडरल कोर्ट ऑफ जस्टिस’ कहा जाता है। यह सामान्य कानूनी मामलों की सुनवाई करता है, जबकि संवैधानिक मामलों के लिए ‘फेडरल कॉन्स्टिट्यूशनल कोर्ट’ जिम्मेदार है।

स्विट्जरलैंड:
स्विट्जरलैंड में सबसे बड़ी अदालत को ‘फेडरल सुप्रीम कोर्ट ऑफ स्विट्जरलैंड’ कहते हैं। यह नागरिक, आपराधिक और सरकारी मामलों की सुनवाई करती है।
इटली:
इटली में ‘कोर्ट ऑफ कैसेशन’ और ‘कॉन्स्टिट्यूशनल कोर्ट’ अलग-अलग कार्य करते हैं।
ऑस्ट्रेलिया:
ऑस्ट्रेलिया में सबसे ऊंची अदालत का नाम है ‘हाई कोर्ट ऑफ ऑस्ट्रेलिया’; यह संविधान और अपील के बड़े मामलों को देखती है।
दक्षिण अफ्रीका:
दक्षिण अफ्रीका में सर्वोच्च संस्था को ‘कॉन्स्टिट्यूशनल कोर्ट’ कहा जाता है, जो संवैधानिक मामलों में अंतिम निर्णय देता है, जबकि ‘सुप्रीम कोर्ट ऑफ अपील’ अन्य अपीलीय मामलों को देखता है।
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