डेस्क। भारत के दक्षिणी भाग में स्थित नीलगिरी पहाड़ियां जिन्हें blue mountains भी कहा जाता है देश के सबसे खूबसूरत जगहों में से एक हैं। पूर्वी और पश्चिमी घाटों के संगम पर स्थित निलगिरी तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक में फैली हुई है। अपनी धुंध से ढकी चोटियों और हरे भरे चाय के बागानों की वजह से ये काफी ज्यादा मशहूर हैं। आइए जानते हैं कि इन्हें ब्लू माउंटेन क्यों कहा जाता है?
यह भी पढ़ें-Summer Vacation में घूम आएं ये ठंडी जगह, सस्ते में हो जाएगी ट्रिप
चोटियों को अक्सर ढकने वाला नीला रंग यूकेलिप्टस के पेड़ों और बाकी देसी वनस्पतियों से निकलने वाले तेल के कणों की वजह से होता है। जब सूरज की रोशनी इन कणों से टकराती है तो प्रकाश बिखर जाता है और छोटी वेवलेंथ, खासकर नीले रंग की चारों तरफ फैल जाती हैं। यही रोशनी इन पहाड़ों को नीला कर देती है।

नीलगिरी पहाड़ियां लगभग ढाई हजार वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैली हुई हैं। भारत के पहले बायोस्फियर रिजर्व के रूप में 1986 में स्थापित नीलगिरि बायोस्फियर रिजर्व इन पहाड़ियों को घेरे हुए है। नीलगिरी की पहाड़ियों पर कई बड़ी चोटियां हैं। हर चोटी के आसपास घाटियां, जंगल और चाय बागान के खूबसूरत दृश्य दिखते हैं। डोड्डाबेट्टा चोटी समुद्र तल से 2637 मीटर ऊंची है। यह नीलगिरी का सबसे ऊंचा स्थान है।
यह पहाड़ियां अपनी अविश्वसनीय बायोडायवर्सिटी की वजह से काफी ज्यादा प्रसिद्ध हैं। यहां पर नीलकुरिंजी भी पाया जाता है जो 12 साल में सिर्फ एक बार खिलता है। नीले और बैंगनी रंग का यह दुर्लभ फुल पहाड़ियों के ढलानों पर बिखरा हुआ है। यूकेलिप्टस और बाकी देसी पौधे यहां के प्राकृतिक प्रक्रिया में काफी अहम हिस्सा रखते हैं। अक्सर नीला कोहरा इन पहाड़ियों को ढक लेता है जिससे यह जगह काफी जादूई नजर आती है।
Tag: #nextindiatimes #bluemountains #NilgiriHills