स्टॉकहोम। स्वीडन (Sweden) को अंततः उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO) में शामिल कर लिया गया। नाटो (NATO) महासचिव जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने कहा है कि ‘यह एक ऐतिहासिक दिन है। स्वीडन को अब नाटो में उचित स्थान मिलेगा और नाटो की नीतियों और निर्णयों में उसके विचारों को भी ध्यान में रखा जाएगा।
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उन्होंने कहा कि ‘200 साल से अधिक समय तक गुटनिरपेक्ष रहने के बाद स्वीडन (Sweden) को भी अब अनुच्छेद 5 के तहत सुरक्षा की गारंटी मिलेगी।’ कल स्वीडिश (Sweden) सरकार की एक विशेष बैठक के बाद इसकी घोषणा की गई। अब ब्रुसेल्स में नाटो मुख्यालय के बाहर स्वीडिश झंडा भी दिखना शुरू हो जाएगा। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) ने अपने एक्स हैंडल पोस्ट पर इस घोषणा का स्वागत किया और स्वीडन को इसके लिए बधाई दी।
क्रिस्टर्सन ने अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के साथ बैठक में स्वीडन (Sweden) के विलय का दस्तावेज सौंपा। इसके साथ ही 200 वर्षों से अधिक की तटस्थता और गुटनिरपेक्षता का अंत हो गया। स्थानांतरण स्वीडिश समयानुसार शाम 5:25 बजे हुआ। स्वीडन नाटो (NATO) का 32वां सदस्य देश होगा। इस मौके पर ब्लिंकेन ने कहा, “इंतजार करने वालों को अच्छी चीजें मिलती हैं। इससे बेहतर कोई उदाहरण नहीं है।” उन्होंने इसे ”एक ऐतिहासिक क्षण” बताया।

गौरतलब है कि नाटो (NATO) का गठन 1949 में हुआ था। उस समय इसमें अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और फ्रांस समेत 12 देश थे। अब स्वीडन (Sweden) सहित सदस्य देशों की संख्या 32 हो गई है। प्रारंभ में नाटो (NATO) का उद्देश्य सोवियत संघ के विस्तार को रोकना था। सभी ने संकल्प लिया था कि नाटो के किसी भी सदस्य पर हमला सभी सदस्य देशों पर हमला माना जाएगा। नाटो (NATO) के पास कोई सेना नहीं है, लेकिन सभी सदस्य देश किसी संकट में एकजुट होकर कार्य कर सकते हैं। नाटो (NATO) देश संयुक्त सैन्य अभ्यास भी करते हैं। नाटो के प्रमुख सदस्य देश अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, स्पेन, तुर्की, अल्बानिया, बुल्गारिया, हंगरी (Hungary), पोलैंड, चेक गणराज्य, स्लोवाकिया, रोमानिया, लिथुआनिया, लातविया, एस्टोनिया और फिनलैंड हैं।
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