नई दिल्ली। अंतरिक्ष (Space) और हमारा सौरमंडल ऐसे अनगिनत रहस्य और कौतुहलों से भरा हुआ है जिनके बारे में जानकर अक्सर आम लोगों के साथ ही वैज्ञानिक (scientists) भी अचंभित रह जाते हैं। आज हम सौरमंडल की एक ऐसी जगह की बात करने जा रहे हैं जहां पर हीरों की बारिश (rain of diamonds) होती है। जिस तरह हम मानसून (monsoon) में रिमझिम बारिश को गिरते देखते हैं, वैसे ही इस जगह पर हीरे भी बरसते हैं।
यह भी पढ़ें-अंतरिक्ष के रहस्यों को जानना है तो जरूर देख लें ये शानदार बॉलीवुड फिल्में
नेपच्यून (Neptune) और यूरेनस (Uranus) ऐसे ही दो ग्रह हैं। धरती से नेपच्यून करीब 15 गुना बड़ा है, जबकि पृथ्वी से यूरेनस 17 गुना बड़ा है। सबसे हैरानी वाली बात इनका आकार नहीं, बल्कि यहां पर होने वाली हीरे की बारिश (rain of diamonds) है। यहां का वातावरण इस प्रकार का है, यहां पर भारी मात्रा में हीरे बनते हैं। वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार हमारे सौर मंडल के अलावा भी ऐसे हजारों ग्रह मौजूद हैं, जिन पर हीरे की बारिश (Diamond Rain) होती है।

एक वैज्ञानिक प्रयोग के अनुसार अंतरिक्ष में सैकड़ों एक्सोप्लैनेट पर हीरों की बारिश हो सकती है। ये हीरे अत्यधिक कम तापमान पर एक्सोप्लैनेट के अंदरूनी भाग में मौजूद अत्यधिक संकुचित कार्बन यौगिकों का परिणाम होंगे। वैज्ञानिकों (Scientists) का अनुमान है कि 5600 एक्सोप्लानेट्स में से 1900 से अधिक पर हीरों की बारिश (rain of diamonds) हो सकती है। इसमें हमारे सौर मंडल पृथ्वी के करीबी ग्रह यूरेनस और नेप्च्यून भी शामिल हैं।

दरअसल यूरेनस और नेपच्यून ग्रह पर बहुत अधिक मात्रा में मीथेन गैस मौजूद है। हम सभी जानते हैं कि मीथेन में हाइड्रोजन और कार्बन होते हैं। इसका रासायनिक सूत्र CH₄ होता है। जब नेपच्यून और यूरेनस पर मीथेन का दबाव पड़ता है, तो हाइड्रोजन और कार्बन के बॉन्ड टूटते हैं, जिसके बाद कार्बन हीरे में परिवर्तित हो जाता है। इसके बाद वहां पर हीरे की बारिश (rain of diamonds) होती है।
Tag: #nextindiatimes #rainofdiamonds #space