डेस्क। Nepal के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने प्रदर्शन के बाद इस्तीफा दे दिया। ये प्रदर्शन 4 सितंबर को नेपाल सरकार की ओर से सोशल मीडिया पर लगाए बैन के खिलाफ शुरू हुई थी। लेकिन इस आंदोलन की जड़ें 2015 के भूकंप से जुड़ी हैं। गौरतलब है कि जेन जी प्रदर्शन में सुदन गुरुंग नाम का एक शख्स उभरकर सामने आया।
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जब साल 2015 में Nepal ढहते घरों और बिखरी हुई जिंदगियों से जूझ रहा था, तब सुदन गुरुंग ने एक ऐसी भूमिका निभाई जिसकी किसी ने उम्मीद नहीं की थी। भूकंप ने गुरुंग को बदल दिया था। विनाशकारी भूकंप के कुछ ही क्षण बाद, गुरुंग का पहला विचार ऑनलाइन एक अपील पोस्ट करने का था। लगभग 200 स्वयंसेवक पहुँचे। उन्होंने गांवों में चावल पहुंचाए, स्कूलों के कैंपस में तंबू गाड़े और घायलों को उधार की मोटरसाइकिलों पर पहुंचाया। वह अचानक बड़ा नेटवर्क ‘हामी नेपाल’ (हम नेपाल हैं) बन गया।

2020 तक यह 1,600 से ज़्यादा सदस्यों के साथ एक गैर-सरकारी संगठन के रूप में पंजीकृत हो गया। गुरुंग कोई पेशेवर राजनेता नहीं हैं। वे हामी नेपाल के अध्यक्ष हैं। गुरुंग का जीवन 2015 के भूकंप से बदल गया, जिसमें उनके बेटे सहित लगभग 9,000 लोगों की जान गई थी।
भूकंप के बाद, उन्होंने इंटरनेट मीडिया का उपयोग कर राहत कार्यों के लिए लगभग 200 स्वयंसेवकों को जुटाया। इंटरनेट मीडिया पर बैन से पहले, हामी नेपाल ने मोर्चा संभाल लिया था। गुरुंग की टीम ने आठ सितंबर को रैलियों का आह्वान किया। गुरुंग, कभी डीजे और नाइट क्लब ओएमजी के मालिक थे। हामी नेपाल एक जमीनी राहत पहल से आपदा प्रतिक्रिया और भूकंप के बाद पुनर्वास के एक व्यापक मंच के रूप में विकसित हुआ है।
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