नोएडा। प्रसिद्ध मूर्तिकार और दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के शिल्पकार Ram Sutar का निधन हो गया है। सुतार जिस पत्थर को छू लेते थे, वो अद्भत मूर्ति का रूप लेता था। महात्मा गांधी, डॉ. भीमराव अंबेडकर, सरदार वल्लभभाई पटेल, दीन दयाल उपाध्याय, छत्रपति शिवाजी महाराज उनकी कृतियों में इतिहास, विचार और राष्ट्र की आत्मा एक साथ सांस लेते नजर आते हैं।
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राम सुतार में विचार और कल्पनाशीलता के बीज छोटी उम्र से ही भीतर पड़ गए थे। बचपन में वह एक दिन मां के पास बैठे थे, तभी उन्हें बिच्छू ने काट लिया। उन्होंने उसे मार दिया। इसके बाद मन के भीतर के भावों ने उन्हें उस बिच्छू की आकृति बनाने को प्रेरित किया। जिसके बाद उन्होंने एक साबुन पर खुरच करके उसकी आकृति बना दी।
महाराष्ट्र में अपने गांव गोंडूर में जहां वो पढ़ाई करते थे, वहां एक अखाड़ा भी था। उस समय अखाड़े में बच्चे नहीं आते थे। तब मास्टर जी के कहने पर उन्होंने एक पहलवान की छह फीट की मूर्ति बनाई जिसे देखकर अखाड़े में बच्चे आने लगे थे। उनके गुरु श्रीराम कृष्ण जोशी ने इस प्रतिभा को पहचान कर उसे निखारा।

जब वो पांचवीं कक्षा में थे तो उन्होंने कहीं एफिल टावर का दृश्य देखा था तो उसे देखकर उनके मन में यही आया था एक दिन मैं भी दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति बनाऊंगा और सरदार पटेल की मूर्ति के रूप में उनका ये सपना पूरा भी हुआ। धीरे-धीरे उनकी कला का आकार भी बड़ा होता गया। कुछ छोटे-बड़े काम और एलोरा में पुरातत्व विभाग की नौकरी के बाद लगभग 1959 में सुतारजी दिल्ली आए तो गांधी को देखने, समझने और महसूस करने के कई दरवाजे खुले।
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