नई दिल्ली। पीएम मोदी इन दिनों चीन की यात्रा पर हैं। भले ही अमेरिका के बाद चीन आज दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति है लेकिन एक वक्त था जब ड्रैगन बेहद गरीब था, भारत से भी ज्यादा। करीब सात दशक पहले चीन के प्रधानमंत्री चू ऐन लाई अक्सर विदेश यात्रा के लिए भारत से किराये पर विमान लेते थे और उन्हें किराये पर विमान देने वाले शख्स थे, जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा (JRD Tata)।
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चू ऐन ने पहली दफा टाटा (JRD Tata) से विमान किराये पर लिया 1954 के मध्य में। तब वह भारत ही आने वाले थे, तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से मिलने। चू ऐन ने जेआरडी टाटा से पत्र से लिखकर किराये पर विमान उपलब्ध कराने की गुजारिश की। उस वक्त तक भारत सरकार के पास भी अपना विमान नहीं था। केंद्र सरकार में नगर विमानन विभाग जरूर था, लेकिन उसका सिर्फ सर्टिफिकेट, लाइसेंस आदि देने तक ही सीमित था।

उस समय विमानन सेवा के सर्वेसर्वा जेआरडी टाटा ही थे। चीन के प्रधानमंत्री के लिए विमान उपलब्ध कराने की बात JRD Tata के पत्र से भी जाहिर होती है, जिसे उन्होंने नेहरू को लिखा था। इसमें टाटा ने लिखा था, ‘मुझे खुशी है कि चीन के प्रधानमंत्री के लिए हमने जिस उड़ान की व्यवस्था की थी, वह ठीक रही। चीन के प्रधानमंत्री ने हमारी सेवा की प्रशंसा की’।
जेआरडी टाटा की बचपन से हवाई उड़ानों में खास दिलचस्पी थी। उन्होंने टाटा एयरलाइंस की नींव भले ही 1932 में रखी, लेकिन टाटा साल 1919 में शौकिया तौर पर हवाई जहाज उड़ा चुके थे। वह पहले हिंदुस्तानी थे, जिन्होंने यह तमगा हासिल किया था। उन्हें भारत में सिविल एविएशन के पितामह का दर्जा मिला।
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