एंटरटेनमेंट डेस्क। भारतीय फिल्मों में censor board की सेंसरशिप हमेशा से बहस का मुद्दा रही है। कई बार यह बहस सीधे विवाद में बदल जाती है, जब सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC) सिर्फ दृश्यों को काटने तक नहीं रुकता बल्कि कहानी की आत्मा को ही बदलने की कोशिश करता है।
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हाल ही में मलयालम फिल्म ‘जानकी वी वर्सेस स्टेट ऑफ केरल’ इसी विवाद का शिकार बनी। इस फिल्म को पहले ‘जानकी वर्सेस स्टेट ऑफ केरल’ नाम रिलीज होना था लेकिन सेंसर बोर्ड (censor board) ने न केवल इसके टाइटल पर आपत्ति जताई, बल्कि पूरे 96 कट्स लगाने की बात सामने आई। मामला कोर्ट पहुंचा। मॉलीवुड के संगठनों ने सेंसर बोर्ड के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और आखिरकार फिल्म बदले हुए नाम के साथ सिनेमाघरों में रिलीज हुई।

खास बात यह है कि अब यह फिल्म OTT पर भी रिलीज हो गई है और आप इसे हिंदी में भी देख सकते हैं। बीते महीने 17 जुलाई को फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी। बॉक्स ऑफिस पर इसने महज 5.52 करोड़ रुपये की कमाई की, लेकिन समीक्षकों ने इसकी तारीफ की। फिल्म को IMDb पर 7.0 रेटिंग मिली है।
तमाम उठापटक के बीच 9 जुलाई 2025 की सुनवाई के दौरान, फिल्म के निर्माताओं और censor board के बीच समझौता हुआ। कानूनी तर्कों और जिंदगी की दलदल में फंसी जानकी की यह लड़ाई भारतीय न्याय प्रणाली की नैतिक दुविधाओं पर चोट करती है। एक ऐसी दुनिया जहां कानून के साथ खिलवाड़, सही और गलत के बीच की रेखाओं को धुंधली कर देती है। क्लाइमेक्स ऐसा है, जहां दर्शक यह सोचने पर मजबूर हो जाता है कि जानकी के साथ आखिर हुआ क्या, और न्याय का असली मतलब क्या है?
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