आगरा। विकास प्राधिकरण के अत्याचार और प्रदेश सरकार की चुप्पी ने किसानों (farmers) को वर्ष के आखिरी लम्हों में आंदोलन (protest) को मजबूर कर दिया। जब कड़ाके की सर्द (cold) रात में गलन पैदा कर रही है तब अपनी भूमि का 15 वर्ष बाद भी मुआवजा न मिलने से आक्रोशित किसानों (farmers) ने सोमवार दोपहर तीन बजे पूरा इनर रिंग रोड जाम कर दिया।
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यह महत्वपूर्ण सड़क आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे (Agra-Lucknow Expressway) और यमुना एक्सप्रेसवे को जोड़ती है। जाम से हजारों पर्यटक परेशान हो गए। हाथों में लाठियां लेकर सड़क पर उतरीं महिलाओं और बच्चों ने जमकर प्रदर्शन (protest) किया और फिर वहीं लेट गए। आंदोलन के चलते दोनों एक्सप्रेसवे (expressways) का संपर्क साढ़े चार घंटे तक कटा रहा।
मुख्यमंत्री से वार्ता कराने या जमीन वापस करो के नारे गूंजते रहे। शाम छह बजे पहुंचे डीएम ने डेढ़ घंटे की वार्ता के बाद किसानों को एक लेन खाली करने पर राजी कर लिया। एक लेन पर किसान (farmers) अब भी जमे हुए हैं। प्रदर्शन (protest) स्थल पर पीएसी व पुलिस फोर्स तैनात की गई है। सोमवार को भी किसान डटे रहे। प्रशासन ने दोपहर 12 बजे तक मुख्यमंत्री से वार्ता कराने का आश्वासन दिया लेकिन बात नहीं करा सके। दोपहर एक बजे SDM एत्मादपुर संगमलाल गुप्ता और एडीए अधिकारी पहुंचे।

धरनास्थल पर बताया कि डीएम ने मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव संजय प्रसाद से वार्ता की है। मुख्यमंत्री का समय नहीं मिल पा रहा, इससे किसान भड़क गए। कहने लगे जब मुख्यमंत्री के पास समय नहीं तो हम इसी रोड पर हल चलाएंगे। भूमि वापस लिए बगैर नहीं लौटेंगे। दोपहर तीन बजे किसान (farmers) परिवारों की महिलाओं ने इनर रिंग रोड की दूसरी लेन को भी बंद कर दिया। इससे लखनऊ एक्सप्रेसवे (Lucknow Expressway) और नोएडा दोनों तरफ से आने वाला यातायात बाधित हो गया।
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