नई दिल्ली। दिल्ली की सीएम रेखा गुप्ता पर जनसुवाई के दौरान हमले की कोशिश हुई है। बताया जा रहा कि आरोपी कुछ कागज लेकर सीएम के जनसुनवाई में पहुंचा था। इसी दौरान उसने अचानक ही सीएम को थप्पड़ मारने की कोशिश की। हालांकि हमलावर शख्स को अरेस्ट कर लिया गया है। लेकिन विरोध जताने या ग़ुस्सा दिखाने के लिए नेताओं (leaders) पर चप्पल-जूता फेंकने के तमाम मामले पहले भी देखने को मिले हैं।
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जनवरी 2012 में राजनीतिक (leaders) विरोध के लिहाज से यह अन्ना का दौर था। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी देहरादून के विकास नगर में रैली कर रहे थे। राहुल की चुनावी सभा के दौरान ही कुलदीप नाम के एक युवक ने मंच पर जूता फेंका। हालांकि जूता राहुल के पास नहीं पहुंच पाया। लोगों ने इस व्यक्ति को पकड़कर पिटाई शुरु कर दी जिस पर राहुल ने कहा कि उसे मारा न जाए।

इसके अलावा जनवरी के ठंड के दिनों में बाबा रामदेव पर स्याही फेके जाने के कुछ दिनों बाद कांग्रेस मुख्यालय पर leaders सोनिया गांधी के पोस्टर पर भी स्याही फेंकी गई। पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर भी यह हमला हुआ है। उनकी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक युवक ने जूता उछाल दिया था। बिहार के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी पर 5 जनवरी 2015 को जूता उछाला गया।
अप्रैल 2009 में एक रैली के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की तरफ़ जूता उछाला गया। घोसी उपचुनाव में बीजेपी कैंडिडेट दारा सिंह चौहान पर स्याही फेंकी गई थी। कार से उतरने पर कार्यकर्ता उनका स्वागत कर रहे थे, तभी उन पर एक युवक ने स्याही फेंक दी और फरार हो गया। जिसके बाद खूब सियासी घमासान मचा था।
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