लखनऊ। पिछले दिनों ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) की खूब चर्चा रही लेकिन अब सोशल मीडिया पर ‘सिंदूर मांगे OPS’ (Sindoor Mange OPS) ट्रेंड देखने को मिल रहा है। देश के शिक्षक, कर्मचारी और अधिकारी पुरानी पेंशन योजना की बहाली और सरकारी संस्थाओं के निजीकरण की समाप्ति की मांग लगातार कर रहे हैं और इसमें अटेवा (ATEWA)-पेंशन बचाओ मंच अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
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सबसे पहले आपको बताते हैं OPS यानि कि पुरानी पेंशन योजना क्या है? देश में 2004 से पहले पुरानी पेंशन योजना लागू थी। इसमे पेंशन के लिए कर्मचारी के वेतन से कोई कटौती नहीं होती थी। इस योजना के तहत GPF (General Provident Fund) की सुविधा भी उपलब्ध थी। रिटायरमेंट पर GPF के ब्याज पर और निकासी पर भी किसी प्रकार का इनकम टैक्स नहीं लगता था। पुरानी पेंशन योजना एक सुरक्षित पेंशन योजना थी, इसमें भुगतान सरकार की ट्रेजरी के माध्यम से किया जाता था। इस योजना में रिटायरमेंट के समय अंतिम बेसिक सैलरी के 50 फीसदी तक निश्चित पेंशन मिलती थी। पुरानी पेंशन योजना में प्रत्येक 6 महीने के बाद महंगाई राहत मिलता था।
क्या है NPS:
पुरानी पेंशन योजना को दिसंबर 2003 में सरकार द्वारा समाप्त कर दिया गया था, इसके बाद राष्ट्रीय पेंशन योजना (National Pension Scheme-NPS) की शुरुआत की गई। 1 अप्रैल 2004 के बाद सरकारी नौकरी में शामिल हुए कर्मचारी, इस योजना के तहत अपने वेतन का 10 प्रतिशत हिस्सा पेंशन के लिए योगदान करते है। रिटायरमेंट पर कर्मचारी इस फंड में से 60 फीसदी राशि निकाल सकते हैं, जिस पर कोई टैक्स नहीं देना पड़ता है, शेष 40 फीसदी का एन्युइटी में निवेश किया जाता है, जिस पर टैक्स लगता है। राष्ट्रीय पेंशन योजना (NPS) शेयर बाजार आधारित है, शेयर बाजार से मिलने वाले रिटर्न के आधार पर ही पेंशन का भुगतान किया जाता है। शेयर बाजार से जुड़े होने के कारण इसमे मिलने वाली पेंशन को लेकर अनिश्चितता रहती है। नई पेंशन योजना में जनरल प्रोविडेंट फंड (GPF) की सुविधा को भी शामिल नहीं किया गया है। हालांकि इससे सरकारी कर्मचारी खुश नहीं हैं। पहले NPS को देश हित में कहा जाता था अब UPS को कहा जा रहा है l

UPS क्या है?
साल 2025 की शुरुआत में ही देश के लाखों सरकारी कर्मचारियों को गारंटीड पेंशन का तोहफा मिल गया है। केंद्र में सत्तासीन नरेंद्र मोदी सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों के लिए यूनिफ़ाइड पेंशन स्कीम, यानी एकीकृत पेंशन योजना या UPS को स्वीकृति दे दी है। UPS के तहत, जिन कर्मचारियों ने कम से कम 25 वर्ष तक नौकरी की है, उन्हें रिटायरमेंट से पहले के 12 महीनों में रही उनकी औसत बेसिक सैलरी, यानी मूल वेतन का आधा, यानी 50 फ़ीसदी निश्चित पेंशन हासिल होगी। यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) 1 अप्रैल 2025 से लागू हो गयी है लेकिन कई राज्यों में अभी तक ऐसा नहीं हुआ है। ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) के तहत कर्मचारियों को उनके कार्यकाल के अंतिम मूल वेतन का 50% पेंशन के रूप में मिलता था। ओपीएस के उलट यूपीएस अंशदायी नेचर की है। इसमें कर्मचारियों को अपने बेसिक पे और महंगाई भत्ते (DA) का 10% योगदान करना होगा, जबकि एम्प्लॉयर (केंद्र सरकार) का योगदान 18.5% होगा।
बता दें कि राजस्थान, झारखंड और छत्तीसगढ़ के बाद पंजाब ने भी पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) में लौटने की घोषणा कर दी है। हालांकि कई अन्य राज्यों के कर्मचारी भी पुरानी पेंशन योजना लौटाने की मांग कर रहे हैं।
OPS के लिए अटेवा कर रहा संघर्ष:
आपको बताते हैं अटेवा क्या है? ऑल टीचर्स/इम्पलाइज वेलफेयर एसोशिएसन (अटेवा) सभी विभागों के शिक्षकों-कर्मचारियों व अधिकारियों का ऐसा संगठन है जो पुरानी पेंशन बहाली एवं निजीकरण की समाप्ति के लिए लड़ रहा है। यह एकमात्र ऐसा संगठन है जिसमें उच्च पदों से लेकर निम्न पदों पर आसीन समस्त कर्मचारी सदस्य हो सकते है और एक-दूसरे से समन्वय बनाते हुए आगे बढ़ते है।

अटेवा का उद्देश्य है शिक्षकों कर्मचारियों को दी जाने वाली सामाजिक सुरक्षा पुरानी पेंशन जो केन्द्र सरकार की नौकरियों में 1 जनवरी 2004 से उत्तर प्रदेश सरकार की नौकरियों में 1 अप्रैल 2005 से बन्द की गयी उसे पुनः बहाल कराना। इसके साथ ही निजीकरण जैसी शोषणकारी व्यवस्था जो देश के युवाओं का भविष्य बर्बाद कर रही है, ऐसी व्यवस्था को समाप्त कर राष्ट्रीयकरण कराना।
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