33.8 C
Lucknow
Monday, July 21, 2025

सावन में रंग बदलता है शिवलिंग, पहली बार यहीं चढ़ी थी कांवड़

डेस्क। सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित होता है और इस दौरान पड़ने वाले हर सोमवार का विशेष महत्व होता है। चलिए आपको बताते हैं एक ऐसे शिवलिंग (Shivling) के बारे में जो अपना रंग बदलता है।

यह भी पढ़ें-दो भागों में बंटा है यहां का शिवलिंग, अपने आप घटती-बढ़ती है दूरी

बागपत के पुरामहादेव गांव स्थित परशुरामेश्वर महादेव मंदिर लाखों श्रद्धालुओं की आस्था केंद्र है। महादेव का यह प्राचीन मंदिर है। लाखों शिवभक्त श्रावण और फाल्गुन के माह में हरिद्वार से कांवड़ में गंगा का पवित्र जल से भगवान आशुतोष का अभिषेक करते हैं।

मान्यता है कि जहां पर परशुरामेश्वर पुरामहादेव मंदिर है, यहां काफी पहले कजरी वन हुआ करता था। इसी वन में जमदग्नि ऋषि अपनी पत्नी रेणुका सहित अपने आश्रम में रहते थे। रेणुका प्रतिदिन कच्चा घड़ा बनाकर हिंडन नदी नदी से जल भर कर लाती थी और शिव को अर्पण करती थी। हिंडन नदी, जिसे पुराणों में पंचतीर्थी कहा गया है और हरनन्दी नदी के नाम से भी विख्यात है जो मंदिर के पास से ही गुजर रही है।

बताया जाता है कि जब भगवान परशुराम ने अपनी पितृ आज्ञा मानते हुए अपनी माता रेणुका का सिर धड़ से अलग कर दिया तो पश्चाताप में उन्होंने उसी वन में शिवलिंग (Shivling) स्थापित कर घोर तपस्या शुरू कर दी। जिसके बाद भगवान शिव ने उनकी माता को जीवित कर दिया तथा एक परशु (फरसा) भी वरदान स्वरूप दिया तथा कहा जब भी युद्ध के समय इसका प्रयोग करोगे तो विजय होगे। परशुराम ने जिस स्थान पर शिवलिंग (Shivling) की स्थापना की थी वहां एक मंदिर भी बनवा दिया।

Tag: #nextindiatimes #Sawan2025 #LordShiva

RELATED ARTICLE

close button