मथुरा। आपने अपने आसपास अलग-अलग माध्यमों से राधा रानी के विवाह से जुड़ीं कई कहानियां (stories related to Radha Rani) सुनी होंगी लेकिन क्या आपको राधा रानी (Radha) के विवाह की वास्तविकता पता है? गर्ग संहिता (Garg Samhita) में रायाण जी, जिन्हें अयान जी भी कहा जाता है, उनके साथ राधा रानी के विवाह के बारे में विस्तार से लिखा गया है।
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आज हम आपको एक ऐसे स्थान के बारे में बताने जा रहे हैं, जो राधा-कृष्ण (Radha-Krishna) के विवाह का साक्षी रहा है, हालांकि इसके बारे में कम ही लोगों को जानकारी है। दरअसल राधारानी के जन्म के बारह वर्ष बीतने पर उन्हें यौवन में प्रवेश करते देख माता-पिता ने रायाण गोप के साथ उनका विवाह निश्चित कर दिया। उस समय श्रीराधा घर में छाया को स्थापित करके स्वंय को अन्तर्धान हो गई। उस छाया के साथ उक्त रायाण का विवाह हुआ।
रायाण जी के साथ राधा रानी की छाया का विवाह हुआ था। वहीं वास्तव में श्रीराधा अपने वास्तविक रूप में वृन्दावन में श्रीकृष्ण के साथ थीं। माना जाता है कि वृंदावन में श्रीकृष्ण और राधा जी का विवाह ब्रह्मा जी ने कराया था। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार श्रीकृष्ण और राधा जी (Radha-Krishna) के विवाह में समस्त देवी-देवता उपस्थित हुए थे। तब राधा जी का विवाह एक बार फिर से कृष्ण जी के साथ हुआ। हर युग में राधा रानी हमेशा ही कृष्ण के साथ विवाह करती रही हैं।

भांडीरवन (Bhandiravan) में एकलौता ऐसा मंदिर है, जहां भगवान कृष्ण दूल्हे के रूप में और राधा जी (Radha) दुल्हन के रूप में नजर आती हैं। यह मंदिर एक विशाल वृक्ष के नीचे बना हुआ है, जहां राधा रानी और भगवान कृष्ण की प्रतिमाएं एक-दूसरे को वरमाला पहनाते हुए नजर आ रही हैं। वहीं ब्रह्मा जी की भी मूर्ति स्थापित है, जो विवाह की रस्में निभा रहे हैं। इस स्थान पर एक कुंड भी स्थित है, जिसे भांडीर कुंड के नाम से जाना जाता है।
इसी के साथ इस स्थान को लेकर यह मान्यता भी प्रचलित है कि इस स्थान के दर्शन वर्तमान समय में केवल वही लोग कर सकते हैं, जो उस काल में भी किसी-न-किसी जैसे सखियां, मोर, तोते, गाय और बंदर आदि रूप में उस स्थान पर उपस्थित थे। इसी के साथ भांडीरवन वह स्थान भी है, जहां बलराम दाऊ ने कंस के द्वारा भेजे गए प्रलम्बासुर नामक राक्षस का वध किया था।
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