डेस्क। 2008 के मालेगांव ब्लास्ट में एनआईए की अदालत ने साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर समेत सभी 7 आरोपियों को बरी कर दिया है। इस केस में लंबे समय तक जेल में बंद रहीं Pragya Thakur को सालों तक आतंकवाद का दाग झेलना पड़ा। मालेगांव ब्लास्ट केस में बरी होने के बाद उन्होंने कहा कि मेरा जीवन बर्बाद कर दिया, मुझे अपमानित किया, आतंकी बना दिया।
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मध्य प्रदेश के भिंड जिले के लहार कस्बे की Pragya Thakur उन दिनों जिंस टीशर्ट पहन कर मोटर साईकिल चलाने के लिए मशहूर थीं। उनके पिता आरएमपी डाक्टर थे व राष्ट्रीय स्वंय संघ के सक्रिय कार्यकर्ता। भिंड जिले के 50,000 की आबादी वाले इस छोटे से कस्बे में Pragya Thakur को हर कोई पप्पी के नाम से ही जानता है।
छोटे बालों वाली एक लड़की जींस और टीशर्ट पहनकर बहन के साथ बाइक पर घूमते हुए भिंड की सड़कों पर मनचलों को सबक सिखाने निकलती थी, जो आगे चलकर साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर नाम से पूरे देश में चर्चित हुई। बेहद कम उम्र से ही हिंदुत्ववादी विचारों के प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित प्रज्ञा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की सदस्य बनीं और विश्व हिंदू परिषद की दुर्गा वाहिनी में भी शामिल हुईं।

स्वामी अवधेशानंद गिरी से प्रभावित होकर प्रज्ञा ठाकुर साध्वी बन गईं। बाद में उन्होंने इंदौर में राष्ट्रीय जागरण मंच की स्थापना की। इसके कामकाज के सिलसिले में वह देश के अलग-अलग हिस्सों में जाती थीं। इसी दौरान अचानक तब उनका नाम पूरे देश में गूंज उठा जब 2008 में महाराष्ट्र एटीएस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। मालेगांव में हुए धमाके में दावा किया गया था कि आतंकी घटना में शामिल बाइक साध्वी प्रज्ञा सिंह के नाम पर रजिस्टर्ड थी।
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