कोलकाता। संयुक्त संसदीय समिति (JPC) द्वारा वक्फ (संशोधन) विधेयक (Waqf Bill) की जांच करने तथा अधिक हितधारकों से परामर्श करने के लिए समय बढ़ाने की मांग के बीच पश्चिम बंगाल (West Bengal) की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने गुरुवार को राज्य विधानसभा में इसे “संघ-विरोधी विधेयक” करार दिया।
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पश्चिम बंगाल (West Bengal) विधानसभा सत्र के दौरान सीएम बनर्जी (Mamata Banerjee) ने कहा, वक्फ बिल (Waqf Bill) के बारे में हमारे (राज्य सरकारों) साथ कोई चर्चा नहीं हुई। ये बिल वक्फ संपत्तियों को नष्ट कर देगा। उन्होंने ऐसा (Waqf Bill) विधेयक क्यों प्रस्तावित किया है जो पूरी तरह से एक विशेष धर्म के खिलाफ है। यह एक संघीय विधेयक है।
इस बीच दिल्ली में आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने भी (JPC) की कार्यप्रणाली की आलोचना करते हुए कहा कि विभिन्न राज्यों के कई हितधारकों से परामर्श नहीं किया गया है। संजय सिंह (Sanjay Singh) ने कहा जेपीसी का दौरा बिना कोरम के पूरा हो गया। यह पूरी तरह से शिष्टाचार और संसदीय परंपराओं के खिलाफ था, इसलिए दौरा बीच में ही रद्द कर दिया गया। बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल इतने बड़े राज्य हैं कि हम वहां नहीं गए।
उन्होंने कहा पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश जैसे किसी भी राज्य से कोई जानकारी नहीं ली गई। कहा गया था कि दिल्ली सरकार के प्रतिनिधि को बुलाया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। AAP सांसद Sanjay Singh ने कहा कि संसद को व्यापक चर्चा के लिए जेपीसी की समय सीमा बढ़ाने का प्रस्ताव पारित करना चाहिए। समाजवादी पार्टी के सांसद राम गोपाल यादव ने JPC द्वारा समयसीमा बढ़ाने तथा अधिक हितधारकों से परामर्श करने की मांग का स्वागत करते हुए कहा कि यदि जल्दबाजी में विधेयक लाया गया तो वह “अधूरा विधेयक” (Waqf Bill) होगा।
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