मध्य प्रदेश। भारत में हर एक भगवान का वास अलग-अलग जगह पर है। इसलिए यहां पर तीर्थस्थान (pilgrimage) भी कई सारे हैं। इनमें से बहुत खास हैं 12 ज्योतिर्लिंग। जहां भगवान शिव (Mahadev) का वास होता है। इसलिए लोग अलग-अलग ज्योतिर्लिंग में घूमने जाते हैं। लेकिन क्या आप इनके पीछे की कहानी को जानते हैं। अगर नहीं तो आज हम आपको ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग (Omkareshwar Jyotirlinga) के बारे में बताएंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि यहां पर भगवान के लिए सजाया जाता है विश्राम गृह।
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मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में नर्मदा (Narmada) नदी के मध्य ओमकार पर्वत पर ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थापित है। यह द्वीप ॐ के आकार जैसा है। साथ ही यहां ममलेश्वर मंदिर भी स्थापित है। ओंकारेश्वर ज्योर्तिलिंग (Omkareshwar Jyotirlinga) के आस-पास कुल 68 तीर्थ स्थित हैं। इस मंदिर के आसपास का वातावरण किसी को भी मंत्रमुग्ध कर सकता है।
उज्जैन स्थिति महाकालेश्वर (Mahakaleshwar) की भस्म आरती के बारे में तो हर कोई जानता है। इसलिए हर कोई सुबह 4 बजे मंदिर में इस आरती को देखने भी जाता है। लेकिन आपको पता है कि ओंकारेश्वर मंदिर (Omkareshwar Jyotirlinga) की शयन आरती विश्व प्रसिद्ध है। ऐसा इसलिए क्योंकि मान्यता है कि रात्रि के समय भगवान शिव (Mahadev) यहां रोजाना विश्राम करने आते है। इसलिए वहां के गर्भ ग्रह में भगवान शिव और माता पार्वती के लिए बिस्तर लगाया जाता है। साथ ही चौपड़ बिछाई रखा जाता है ताकि वो इसे खेल सके।

रात के समय इस मंदिर में कोई नहीं रुकता है। जब सुबह के समय द्वार खोले जाते हैं, तो सारा सामान बिखरा हुआ दिखाई देता है। इसलिए कहा जाता है कि ये एकमात्र मंदिर है जहां पर भगवान Mahadev रात के समय आते हैं। सभी तीर्थों के दर्शन के बाद ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने का विशेष महत्व माना गया है। जब तीर्थ यात्री सभी तीर्थों का जल लाकर ओमकारेश्वर (Omkareshwar Jyotirlinga) में अर्पित करते हैं, तभी सारे तीर्थ पूर्ण माने जाते हैं, अन्यथा भक्त पूर्ण फल से वंचित रह जाता है।
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