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Saturday, November 22, 2025

नरसंहार में खोया परिवार, भारत में शरण…शेख हसीना कैसे बनी सबसे पावरफुल महिला?

ढाका। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और अवामी लीग नेता Sheikh Hasina को ढाका की अदालतें मानवता के खिलाफ अपराधों में मौत की सजा सुनाई है। 78 वर्षीय हसीना इस समय भारत में निर्वासन में हैं और उन्होंने फैसले को नकली मुकदमा बताया है। अदालत ने कहा कि जुलाई आंदोलन के दौरान प्रदर्शनकारियों की हत्या के आदेश देने और उनकी सुरक्षा न करने के लिए हसीना जिम्मेदार हैं।

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1975 में जब आधी रात को एक खूनी सैन्य तख्तापलट हुआ तो शेख हसीना जर्मनी में थीं। उस समय उनके पिता और बांग्लादेश के संस्थापक राष्ट्रपति मुजीबुर रहमान, उनकी मां, तीनों भाई और दो भाभियों की ढाका स्थित घर में हत्या कर दी गई थी। कुल 36 लोग मारे गए थे। इस नरसंहार से बची हसीना परिवार के साथ भारत आईं और कई साल तक यहीं रहीं।

इसके बाद 1981 में भारत में रहते हुए वे अवामी लीग की अध्यक्ष चुनी गईं। 1996 में वे पहली बार प्रधानमंत्री बनीं फिर 2009 में दोबारा सत्ता में लौटकर लगातार 2024 तक देश की सबसे लंबे समय तक रहने वाली प्रधानमंत्री बन गईं। हसीना के कार्यकाल में ढाका-दिल्ली रिश्ते अपने सबसे अच्छे दौर में रहे। सुरक्षा, सीमा प्रबंधन, आतंकवाद विरोधी कार्रवाई और इंफ्रास्ट्रक्चर सहयोग में बड़ी प्रगति हुई।

इसी करीबी रिश्ते के कारण 2024 में सत्ता परिवर्तन के बाद भारत में उन्हें शरण दी जबकि नई बांग्लादेश सरकार लगातार उन्हें सौंपने की मांग कर रही थी। अपने चौथे कार्यकाल की शुरुआत के कुछ महीनों बाद ही हसीना को देश भर में आरक्षण व्यवस्था के खिलाफ बड़े विरोध का सामना करना पड़ा था। इन आंदोलनों के चलते हसीना को बहन रेहाना के साथ भारत भागना पड़ा।

Tag: #nextindiatimes #SheikhHasina #Bangladesh

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