ओडिशा। भगवान जगन्नाथ (Lord Jagannath) की भव्य रथ यात्रा आज शुरू हो गई है। यह रथ यात्रा (Rath Yatra) हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को ओडिशा के पुरी में आयोजित की जाती है। भगवान जगन्नाथ (Lord Jagannath) पालकी में सवार होकर बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलभद्र के साथ नगर भ्रमण पर निकल चुके हैं।
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भगवान जगन्नाथ (Lord Jagannath) सबसे पहले अपनी मौसी के घर गुंडिचा मंदिर (gundicha temple) के दर्शन के लिए निकलेंगे। 10 दिनों तक चलने वाली इस यात्रा में लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं। कहा जाता है कि रथ यात्रा (Rath Yatra) के दर्शन मात्र से 1000 यज्ञों का पुण्य प्राप्त होता है। इसके अलावा रथ यात्रा के दौरान नवग्रहों की पूजा भी की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि जगन्नाथ रथ यात्रा (Rath Yatra) में भाग लेने मात्र से अशुभ ग्रहों का प्रभाव कम हो जाता है और शुभ ग्रहों का प्रभाव बढ़ जाता है।
दरअसल प्राचीन काल में भगवान जगन्नाथ (Lord Jagannath) ने अपने भक्त को बीमारी (illness) के दर्द से बचाने के लिए उसके कर्म को भोगा था। इसके लिए उन्हें 15 दिनों तक बीमार रहना पड़ा था और एकांतवास में रहना पड़ा था। इस दौरान उनका इलाज किया गया था। इसी परंपरा के साथ हर साल आषाढ़ महीने में भगवान जगन्नाथ (Lord Jagannath) के मंदिर के कपाट 15 दिनों के लिए बंद कर दिए जाते हैं। इस दौरान भगवान की मूर्ति भी मंदिर में नहीं रहती और उनका इलाज किया जाता है। जब भगवान स्वस्थ हो जाते हैं तो वे नगर भ्रमण के लिए निकल जाते हैं।
परंपरा के अनुसार जब भगवान जगन्नाथ (Lord Jagannath) स्वस्थ होते हैं तो भगवान मंदिर से बाहर आते हैं और भगवान बलभद्र, बहन सुभद्रा के साथ उनकी पूजा की जाती है। फिर भगवान (Lord Jagannath) रथ पर सवार होकर नगर भ्रमण (Jagannath Rath Yatra 2024) करते हैं। इसके बाद वे कुछ दिनों के लिए आराम करने के लिए गुंडिचा मंदिर में अपनी मौसी के घर चले जाते हैं। 5 हजार साल पुरानी बताई जाने वाली भगवान जगन्नाथ (Lord Jagannath) की इस रथ यात्रा को देखने के लिए देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु जगन्नाथ पुरी आते हैं।
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