श्रीनगर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने आज 272 किलोमीटर लंबे उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेलवे लिंक के सबसे अहम पड़ाव कहे जाने वाले चिनाब रेलवे ब्रिज (Chenab Bridge) का उद्घाटन किया। महज 1315 मीटर लंबा यह पुल पूरे प्रोजेक्ट (project) का सबसे कठिन और सबसे ज्यादा समय लेने वाला हिस्सा है। इस ब्रिज को बनाने के फैसले से लेकर उद्घाटन तक में 22 साल का समय लगा।
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चिनाब रेलवे ब्रिज (Chenab Bridge) को बनाने में दो दशक का समय जरूर लगा है, हालांकि इसके शुरू होने के बाद कश्मीर घाटी (Kashmir) और जम्मू के बीच सीधा रेल लिंक बन जाएगा। यह पहली बार होगा कि लोग कन्याकुमारी से सीधा कश्मीर घाटी तक जा सकेंगे। रेलवे टेक्नोलॉजी नाम की वेबसाइट के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर के पहाड़ी क्षेत्र में रास्ते कहीं संकरे तो कहीं घुमावदार हैं। इस बीच कई खाई और मैदानी रास्ते भी हैं। चिनाब नदी (Chenab River) पहाड़ों के बीच जिस खाई में मौजूद है, वह काफी गहरी है।
आमतौर पर पुल को बनाने के लिए कैंटीलिवर तकनीक, सस्पेंशन ब्रिज तकनीक या केबल ब्रिज तकनीक इस्तेमाल की जाती है। लेकिन चिनाब के आसपास की जमीन को देखते हुए ब्रिज (Chenab Bridge) को स्टील आर्क डिजाइन की तर्ज पर बनाने का फैसला हुआ। इस ब्रिज को 17 स्टील के खंभों पर खड़ा किया गया है, जो कि एक आर्क (धनुषाकार) लोहे के बेस पर स्थापित हैं।

जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद से जुड़ी घटनाओं की वजह से चिनाब ब्रिज को मजबूत बनाने का लक्ष्य रखा गया। जितनी भी स्टील इस प्रोजेक्ट में इस्तेमाल हुई, कोंकण रेलवे उसकी इंजीनियरिंग लैब में ब्लास्ट लोड टेस्टिंग कराता था, ताकि उसकी धमाके झेलने की क्षमता पता चल सके। ब्रिज (Chenab Bridge) के हर पार्ट को खासतौर पर 63 मिलीमीटर की विशेष ब्लास्ट-प्रूफ स्टील से तैयार किया गया है, जिससे आतंकी हमले की स्थिति में भी पुल पर फर्क न पड़े और धमाके के बाद भी ट्रेन कम से कम 30 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से पुल के पार चली जाए।
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