डेस्क। भारत में कई मंदिर (temples) और प्राचीन इमारतें (historical buildings) हैं, जो पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। इन प्रसिद्ध इमारतों को जब लोग देखते हैं, तो अक्सर उनके निर्माण का श्रेय सम्राटों और राजाओं (kings) को देते हैं। लेकिन इतिहास एक अलग कहानी बताता है, जिसमें भारत की इन प्राचीन इमारतों (historical buildings) के निर्माण और स्थापना के पीछे महिलाओं का हाथ है या यूं कहें ये महिलाओं (women) की वजह से ही बने हैं।
यह भी पढ़ें-सिर्फ इतने घंटे रहेगा होलिका दहन का शुभ मुहूर्त, फिर मंडराने लगेगा भद्रा का साया
आइए ऐसे में इंटरनेशनल विमेंस डे (International Women’s Day) पर जानते हैं, भारत में कौन से मॉन्यूमेंट्स, मंदिर और प्राचीन इमारतें (historical buildings) महिलाओं की देन हैं।
रानी की वाव, गुजरात: रानी की वाव भारत के गुजरात (Gujarat) राज्य के पाटन में स्थित प्रसिद्ध बावड़ी (सीढ़ीदार कुआं) है। जिसे देखने के लिए टूरिस्ट्स आते है। रानी की वाव का निर्माण किसी राजा ने नहीं, बल्कि रानी उदयमति ने अपने पति, राजा भीम (प्रथम) की याद में करवाया था। रानी की वाव सरस्वती नदी के किनारे पर बनी है और देखने में बेहद ही सुंदर है। बता दें, इस प्रसिद्ध बावड़ी को 100 रुपए के नोट पर दर्शाया गया है।

हुमायूं का मकबरा, दिल्ली: माना जाता है कि इस मकबरे-मुगल सम्राट हुमायूं की मुख्य पत्नी बेगा बेगम द्वारा बनवाया गया था। इस मकबरे (historical buildings) का निर्माण उनके दिवंगत पति को श्रद्धांजलि देने के लिए 1565 में कराया गया था। अगर आप इस मकबरे को देखने आ रहे हैं, तो यहां के अंडरग्राउंड म्यूजियम (museum) में भी जान न भूलें। यहां आप 700 से अधिक कलाकृतियों और पांच बड़ी गैलरी में मुगल सम्राट हुमायूं के जीवन पर देख सकेंगे।
ताज-उल-मस्जिद, मध्य प्रदेश: एशिया की सबसे बड़ी और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी मस्जिद मध्यप्रदेश के भोपाल में है। जिसका नाम ताज-उल-मसाजिद(Taj-ul-Masajid) है, उसका निर्माण किसी राजा ने नहीं, बल्कि 19वीं शताब्दी में भोपाल की एक प्रमुख महिला शासक बेगम शाहजहां के शासन में किया गया था। गुलाबी रंग की इस मस्जिद की दो सफेद गुंबदनुमा मीनारें हैं, जिन्हें मदरसे के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। इस मस्जिद में 1 लाख 75 हजार नमाजी एक साथ नमाज पढ़ सकते हैं।

विरुपाक्ष मंदिर, कर्नाटक: कर्नाटक के पट्टडकल में स्थित, विरुपाक्ष मंदिर का निर्माण 8वीं शताब्दी में रानी लोकमहादेवी ने अपने पति राजा विक्रमादित्य द्वितीय की पल्लवों (Pallavas) पर जीत की याद में करवाया था। यह मंदिर चालुक्य वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना है और आज भी पूजा का एक महत्वपूर्ण स्थल बना हुआ है। यह मंदिर यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल का एक हिस्सा है।
दक्षिणेश्वर मंदिर, कोलकाता: दक्षिणेश्वर मंदिर कोलकाता के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। हुगली नदी के तट पर बसे मंदिर को 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। वहीं श्रद्धालुओं के बीच इस मंदिर की काफी आस्था है। बताया जाता है, इस मंदिर की स्थापना देवी काली की भक्त रानी रशमोनी ने 19वीं शताब्दी में करवाया था।
Tag: #nextindiatimes #historicalbuildings #InternationalWomensDay