डेस्क। अगर आपसे कोई पूछे कि लॉयर, एडवोकेट और बैरिस्टर में क्या फर्क है (Lawyer, Advocate and Barrister Difference) तो क्या आप बिना झिझक जवाब दे पाएंगे? दरअसल ज्यादातर लोग इन शब्दों को एक ही समझते हैं और सोचते हैं कि ये सब वकील (lawyer) के ही दूसरे नाम हैं, लेकिन हकीकत इससे थोड़ी अलग और दिलचस्प (interesting) है।
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लोग इन तीनों नामों को लेकर इसलिए कन्फ्यूज रहते हैं, क्योंकि आम बोलचाल में इन शब्दों को आपस में मिला देते हैं। आइए इस आर्टिकल में जानते हैं कि इन तीनों में आखिर क्या अंतर है (Legal Professionals Difference) और क्यों यह जानना जरूरी है।
‘लॉयर’ (lawyer) एक ऐसा शब्द है जिसका इस्तेमाल उन सभी लोगों के लिए किया जाता है जिन्होंने कानून की पढ़ाई की है यानी जिन्होंने एलएल.बी (LLB) की डिग्री हासिल की है। चाहे वह अदालत में केस लड़े या न लड़े, अगर किसी ने कानून की पढ़ाई की है तो वह ‘लॉयर’ कहलाता है।
जब कोई लॉयर (lawyer), बार काउंसिल में रजिस्ट्रेशन करवा लेता है और उसे केस लड़ने की अनुमति मिल जाती है, तो वह ‘एडवोकेट’ बन जाता है। एडवोकेट वो होता है जिसने कानून की पढ़ाई पूरी कर ली हो, जिसने बार काउंसिल ऑफ इंडिया में नामांकन किया हो, जो अदालत में अपने क्लाइंट की ओर से दलील दे सकता हो। सीधी भाषा में कहें तो, हर एडवोकेट (advocate) एक लॉयर होता है, लेकिन हर लॉयर जरूरी नहीं कि एडवोकेट भी हो।

‘बैरिस्टर’ शब्द ब्रिटिश लीगल सिस्टम से आया है। जब कोई भारतीय छात्र इंग्लैंड जाकर कानून की पढ़ाई (विशेषतः ‘बार एट लॉ’) करता है, तो उसे ‘बैरिस्टर’ कहा जाता है। हम सभी जानते हैं कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी बैरिस्टर (barrister) की पढ़ाई करने के लिए 19 साल की उम्र में भारत से लंदन चले गए थे। यानी लॉयर और बैरिस्टर एक ही होते हैं, मगर इन दोनों नामों में भारत और इंग्लैंड का फर्क होता है।
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