डेस्क। आज मां का दिन है यानि कि मदर्स डे (Mother’s Day)। मई के दूसरे रविवार को मदर्स डे (Mother’s Day) मनाने का रिवाज है। मदर्स डे (Mother’s Day) की शुरुआत कब और कैसे हुई? मदर्स डे (Mother’s Day) मनाने के पीछे की कहानी क्या है; चलिए बताते हैं आपको। मां शब्द के साथ कई भावनाएं जुड़ी होती हैं। एक बच्चे (child) के लिए उसकी मां की क्या अहमियत होती है, इसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता।
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इस दिन (Mother’s Day) को मनाने की शुरुआत एना रीव्स जार्विस ने की थी। इसके पीछे कहानी ऐसी है कि इस दिन के जरिए एना अपनी मां एन रीव्स जार्विस (Reeves Jarvis) को श्रद्धांजलि देना चाहती थीं। उनकी मां, गृहयुद्ध (civil war) के समय एक एक्टिविस्ट की तरह काम करती थीं। जब 1904 में उनकी मृत्यु हुई, तो उनकी याद में उनकी पहली पुण्यतिथि पर वेस्ट वर्जिनिया (West Virginia) में एक आयोजन किया, जिसमें उन्होंने अन्य महिलाएं, जो मां बन चुकी थीं, को सफेद कार्नेशन दिए, जो उनकी मां के पसंदीदा फूल थे। तब से व्हाइट कारनेशन मदर्स डे (Mother’s Day) का प्रतीक बन गया, जो पवित्रता और प्रेम के लिए जाना जाता है।
इसके बाद उन्होंने फैसला किया कि हर साल Mother’s Day मनाया जाना चाहिए, जिसके लिए उन्होंने कई कैंपेन (campaign) किए और अंत में अमेरिकी राष्ट्रपति वुड्रो विल्सन ने 1914 में हर साल मई के दूसरे रविवार को मदर्स डे (Mother’s Day) की तरह मनाने की घोषणा की। इस तरह हुई मदर्स डे (Mother’s Day) मनाने की शुरुआत।
इसके बाद मई के सेकंड सन्डे को मदर्स डे (Mother’s Day) के रूप में मनाने के लिए उन्होंने एक उद्घोषणा पर हस्ताक्षर किए। इसके अलावा मई के दूसरे रविवार को प्राचीन ग्रीक और रोमन परंपरा (Roman tradition) की वजह से भी चुना गया। वसंत के त्योहारों के दौरान यहां लोग अपनी मां को उनकी ममता और बलिदान के लिए धन्यवाद देते हैं।
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