डेस्क। रिटायरमेंट की उम्र के बाद बुजुर्गों को मिलने वाली पेंशन (pension), चाहे सरकारी हो या किसी अन्य योजना के तहत वह उनके लिए एक सहारे की तरह काम करता है। यह पेंशन न उन्हें किसी के सहारे की जरूरत पर छोड़ती है बल्कि आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाती है लेकिन कई बार ऐसा होता है कि पेंशनर्स को पता ही नहीं चलता कि उनकी पेंशन अचानक क्यों बंद हो गई है? ऐसे में वह बैंक के चक्कर लगाते हैं।
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सरकारी नियमों के अनुसार अगर आप बैंक खाते से कुछ खास समय तक कोई ट्रांज़ैक्शन नहीं करते हैं तो आपका खाता निष्क्रिय हो सकता है और इसके साथ ही आपकी पेंशन (pension) भी रुक सकती है। इस नियम को बनाने के पीछे सरकार का खास उद्देश्य यह है। वह यह चेक करना है कि जिस व्यक्ति के नाम पर पेंशन राशि दी जाती है, वह जीवित है या नहीं।
भारत में सरकारी नियमों के अनुसार अगर कोई बैंक खाता 24 महीने तक निष्क्रिय रहता है तो बैंक उसे इन ऑपरेटिव अकाउंट की श्रेणी में डाल देता है। अगर यह निष्क्रियता 10 साल तक बनी रहती है तो खाता अन्क्लेम्ड हो जाता है। बैंक उस पैसे को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पास जमा कर देता है।

हर दो साल में कम से कम एक बार अपने बैंक खाते से कुछ पैसे निकालें या जमा करें। आप एटीएम से पैसे निकाल सकते हैं या यूपीआई के जरिए छोटा सा भुगतान कर सकते हैं। सुनिश्चित करें कि आपका आधार कार्ड और मोबाइल नंबर आपके बैंक खाते और पेंशन विभाग (pension department) में अपडेटेड है। हर साल नवंबर महीने में अपना जीवन प्रमाण पत्र डिजिटल या ऑफलाइन माध्यम से जमा करें।
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