मुंबई। बॉलीवुड (Bollywood) की कई ऐसी हस्तियां हैं, जिन्होंने मुंबई आकर काम पाने और खुद को स्थापित करने के लिए काफी संघर्ष किया। मशहूर गीतकार जावेद अख्तर भी उनमें से एक हैं। उसी समय शत्रुघ्न सिन्हा (Shatrughan Sinha) और सुभाष घई जैसे धुरंधर भी स्ट्रगल कर रहे थे। जावेद अख्तर (Javed Akhtar) 1960 के दशक में मुंबई वापस आए और इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाने के लिए कड़ा संघर्ष किया।
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जावेद अख्तर (Javed Akhtar) 1960 के दशक में मुंबई आए थे। हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में अपने पैर जमाने से पहले कई मुश्किल दौर से गुजरे। छोटी-मोटी नौकरी की। असिस्टेंट डायरेक्टर के रूप में काम किया। कड़ी मेहनत और संघर्ष के बाद 1970 में सिप्पी फिल्म्स 175 रुपये के मामूली वेतन पर राइटर का पद हासिल किया। उसी समय शत्रुघ्न सिन्हा (Shatrughan Sinha) और सुभाष घई जैसे धुरंधर भी स्ट्रगल कर रहे थे। जावेद ने बताया कि जब वो एक छोटे से कमरे में रहते थे और शत्रुघ्न सिन्हा ने उनसे रहने के लिए जगह मांगी थी तो क्या हुआ था।

जावेद अख्तर (Javed Akhtar) ने एक इंटरव्यू में कहा था कि, ‘मैं एक कमरा लेने में कामयाब हो गया था… जब चीजें ठीक होने लगीं। किराया 120 रुपये प्रति माह था। 60 रुपये मैंने चुकाए और बाकी आधे का भुगतान किसी और ने किया। तो मेरे पास शत्रु (Shatrughan Sinha) आया, कहने लगा कि तुम मुझे रख लो अपने कमरे में। मैंने कहा, ‘पागल हो तुम? तुम मुझे भी निकलवा दोगे। 60 रुपये महीना तुम कहां से लाओगे? हर महीने तुम 60 रुपये दे सकोगे? असंभव।’ जावेद ने कहा, ‘मैंने उसे नहीं रखा… मैंने उससे कहा कि तुमको नहीं रख सकता।’
कहते हैं कि अमिताभ और शत्रुघ्न (Shatrughan Sinha) का उस जमाने में एक-दूसरे से तगड़ा मुकाबला था। सलीम-जावेद ने अमिताभ की ज्यादातर हिट फिल्में लिखी थीं। इसीलिए माना जाता था कि राइटर की जोड़ी ने शत्रुघ्न का नहीं, बल्कि बिग बी का सपोर्ट किया था। सलीम-जावेद (Javed Akhtar) और शत्रुघ्न ने ‘काला पत्थर’, ‘शान’ और ‘दोस्ताना’ जैसी फिल्मों में साथ काम किया, लेकिन इन सभी में कई हीरो थे।
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