लाइफस्टाइल डेस्क। सावन के महीने में आने वाले त्योहारों में बर्फी, लड्डू, रसगुल्ले जैसे मिठाइयों की बजाय घेवर (Ghevar) ज्यादा उपयोग होता है। हरियाली तीज पर बेटी के ससुराल घेवर भेजा जाता है। वहीं बहनें राखी पर भाई को घेवर खिलाकर ही मुंह मीठा करती हैं।
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मिलावटी घेवर (Ghevar) में मिलाया गया नकली मावा, सिंथेटिक रंग या खराब घी से आपके पेट को नुकसान हो सकता है। इससे फूड पॉइजनिंग और एलर्जी जैसी दिक्कतें हो सकती हैं। ऐसे में सावधानी बरतना जरूरी है। अगर आप भी सावन में घेवर का स्वाद लेना चाहते हैं, तो जरूरी है कि असली और नकली घेवर में फर्क करना जान लें।
-अगर आप बाहर किसी दुकान से घेवर (Ghevar) खरीदने जा रहे हैं तो आपको उसके रंग पर जरूर ध्यान देना चाहिए। आपको बता दें कि असली घेवर का रंग थोड़ा पीला और नारंगी होता है। ऐसे में अगर आपको घेवर पूरा सफेद या फिर चमकीला दिखे तो समझ जाएं कि वो मिलावटी है।

-असली घेवर में देसी घी की खुशबू ज्यादा आती है। दूर से ही इसकी खुशबू आपको मालूम पड़ जाएगी। इसे मालूम करने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप घेवर को चेक करें कि कहीं वो चिपचिपी तो नहीं हाे रही है। अगर ऐसा है तो आपको इसे नहीं खरीदना चाहिए।
-जब भी आप घेवर (Ghevar) खरीदें तो हल्का सा उसे टेस्ट जरूर कर लें। जो असली घेवर होता है, उसकी मिठास थोड़ी हल्की होती है और वो खाने में भी थोड़ी क्रिस्पी होती है। अगर ये ज्यादा मीठी लगे या फिर कड़वापन महसूस हाे तो आपको इसे खरीदने से बचना चाहिए।
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