डेस्क। जब भी किसी खिलाड़ी को gold medal मिलता है, तो वह पल न सिर्फ उसके लिए, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व और खुशी का होता है। खिलाड़ी की सालों की मेहनत और संघर्ष का बाद एक गोल्ड मेडल मिलता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये गोल्ड मेडल असल में होते कैसे हैं?
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ओलंपिक में दिया जाने वाला गोल्ड मेडल पूरी तरह से सोने का नहीं होता है। इसे मुख्य रूप से चांदी से बनाया जाता है और उसके ऊपर थोड़ी सी मात्रा में सोने की परत चढ़ाई जाती है। इस परत को हम पॉलिश या कोटिंग भी कह सकते हैं। ओलंपिक के इतिहास में आखिरी बार पूरी तरह सोने के मेडल 1912 के स्टॉकहोम ओलंपिक में दिए गए थे। उसके बाद से अब तक सिर्फ चांदी पर सोने की परत चढ़ाकर गोल्ड मेडल दिए जाते हैं।

ओलंपिक गोल्ड मेडल में कम से कम 6 ग्राम शुद्ध सोना होना जरूरी है। वहीं बाकी मेडल लगभग 92.5 प्रतिशत चांदी से बना होता है। गोल्ड मेडल का कुल वजन करीब 530 ग्राम होता है, जिसमें से ज्यादातर हिस्सा चांदी का होता है यानी गोल्ड मेडल में सिर्फ ऊपर की परत सोने की होती है। सोने की बढ़ती कीमतों की वजह से, 2024 के पेरिस ओलंपिक में दिया गया गोल्ड मेडल अब तक का सबसे महंगा रहा। 2024 में एक गोल्ड मेडल की लागत लगभग 79,500 थी। इसकी तुलना में, 2012 में एक गोल्ड मेडल की कीमत करीब 37,800 थी।
वहीं इसमें कम से कम 92.5 प्रतिशत चांदी आईओसी के मानकों के मुताबित होनी चाहिए। पेरिस ओलंपिक 2024 में दिए जाने वाले गोल्ड मेडल की कीमत तकरीबन 950 अमेरिकी डॉलर यानी तकरीबन 80 हजार रुपये आंकी गई है।
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