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Thursday, March 13, 2025

बलोच-पाकिस्तान संघर्ष के बीच आया भारत का नाम, आखिर क्या है कनेक्शन

डेस्क। ट्रेन हाईजैक (train hijack) को लेकर लंदन में बलूच मानवाधिकार परिषद के सूचना सचिव ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने इस घटना पर चिंता जताते हुए कहा कि, “यह घटना दर्शाती है कि पाकिस्तान (Pakistan) कमजोर हो रहा है। बीएलए (BLA) अपनी मातृभूमि की रक्षा कर रहा है। बलूचिस्तान (Balochistan) की स्थिति की मांग है कि भारत और पश्चिमी शक्तियों को बलूच के राष्ट्रीय संघर्ष का समर्थन करना चाहिए।”

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अब इस बयान में भारत का नाम क्यों आया उसकी भी एक वजह है। बलूचों के इस आंदोलन के जड़ में भारत और पाकिस्तान (Pakistan) को बांटने वाले मुहम्मद अली जिन्ना का विश्वासघात छिपा है। बलूच विद्रोहियों ने 1948 में ही हथियार उठा लिए और पाकिस्तानी हुकूमत का विरोध करने लगे।

बलूचिस्तान (Balochistan) में प्राकृतिक संसाधनों का अकूत भंडार है लेकिन विकास पाकिस्तानी पंजाब का होता रहा है। बलूचिस्तान के लोग काफी गरीब हैं और दो रोटी के लिए भी तरसते रहते हैं। बलूचिस्तान के लोगों को लगातार प्रताड़ित किया जाता रहा है और उनके प्राकृतिक संसाधनों से पूरे पाकिस्तान (Pakistan) का पेट भरा जाता है, लेकिन बलूचों का पेट खाली रहता है। बलूचिस्तान में चीन के आने के बाद लोगों का गुस्सा और भड़क गया है। बलूच विद्रोहियों के निशाने पर ग्वादर बंदरगाह है, जिसे पाकिस्तान ने चीन की मदद से विकसित किया है।

बलूचिस्तान में हिंसा की नई आग 2004 में लगी और 2006 में पाकिस्तानी सेना (Pakistan) ने बलूचों के प्रमुख नेता अकबर खान बुगती की हत्या कर दी तो ये आग काफी तेजी के साथ फैल गई। बुगती, बलूचिस्तान की स्वायत्तता, संसाधन पर बलूचों का नियंत्रण और बलूचिस्तान के प्राकृतिक गैस से होने वाले इनकम में बलूचों के लिए उचित हिस्से की मांग कर रहे थे। साल 1971 में पूर्वी पाकिस्तान, यानि बांग्लादेश की आजादी के बाद बलूचिस्तान में नेशनल अवामी पार्टी के नेताओं ने प्रांत के लिए ज्यादा स्वायत्तता की मांग शुरू कर दी।

Tag: #nextindiatimes #Pakistan #Balochistan #trainhijack

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