राजस्थान। राजस्थान (Rajasthan) कई रहस्यमयी मंदिर और स्थान के लिए जाना जाता है। इनमें Rajasthan का किराडू मंदिर बेहद प्रसिद्ध है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि शाम ढलने के बाद कोई नहीं रुकता है। अनदेखी करने से व्यक्ति के साथ कोई न कोई अनहोनी जरूर होती है। आइए, राजस्थान स्थित किराडू मंदिर (Kiradu temple) के बारे में सब कुछ जानते हैं।
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राजस्थान (Rajasthan) के बाड़मेर जिले में रहस्यमयी मंदिर है। यह मंदिर शहर से तकरीबन 40 किलोमीटर दूर है। इस मंदिर में देवों के देव महादेव विराजते हैं। दक्षिण भारत की वास्तु शैली में किराडू मंदिर (Kiradu temple) का निर्माण कराया गया है। रहस्यों से भरे किराडू मंदिर को देखने बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
अगर आप देव दर्शन के लिए किराडू मंदिर (Kiradu temple) जाना चाहते हैं तो आप यात्रा के सभी माध्यम से बाड़मेर पहुंच सकते हैं। श्रद्धालु नई दिल्ली एयरपोर्ट से जोधपुर पहुंच सकते हैं। जोधपुर से बाड़मेर बस से जा सकते हैं। इसके साथ ही श्रद्धालु बस या ट्रेन के माध्यम से भी बाड़मेर पहुंच सकते हैं। इतिहासकारों की मानें तो किराडू मंदिर का निर्माण परमार वंश के शासकों ने कराया है। किराडू मंदिर का इतिहास एक हजार साल पुराना है। इस मंदिर को द्रविड़ वास्तुकला शैली में बनाया गया है। किराडू मंदिर वास्तुकला का अनुपम उदाहरण है। किराडू मंदिर में सोमेश्वर महादेव मंदिर सबसे बड़ा है।

स्थानीय जानकारों की मानें तो किराडू मंदिर बेहद रहस्यमयी है। मत है कि प्राचीन समय में एक संत इस गांव में आए थे। उन्होंने रहने के लिए किराडू को चुना। एक बार की बात है संत किसी काम के चलते दूसरी जगह पर गए थे। उस समय उन्होंने अपने शिष्यों को अपना ख्याल रखने की सलाह दी थी। हालांकि, उनके शिष्यों में किसी एक की सेहत बिगड़ गई। उस शिष्य की किसी ने मदद नहीं की। गांव के सभी लोगों ने मुंह मोड़ लिया। तब गांव की एक महिला ने शिष्य की सेवा और सहायता की। इससे शिष्य स्वस्थ हो गया।
जब संत वापस गांव लौटे तो उन्हें शिष्य के बीमार होने की सूचना मिली। यह जान संत ने गांव वालों को श्राप दे दिया कि शाम होने के बाद तुम सभी पत्थर में बदल जाओगे। हालांकि, महिला को यह कहा कि हे देवी! आप जल्द गांव छोड़कर चली जाओ और जाते समय पीछे मुड़कर मत देखना। यह गांव आज के बाद वीरान हो जाएगा। उस समय महिला गांव छोड़कर जाने लगी। जाने के दौरान महिला ने मुड़कर पीछे देख लिया। इस वजह से गांव वालों की तरह महिला भी पत्थर की बन गई। इसके लिए शाम ढलने के बाद किराडू मंदिर में रुकने की मनाही है।
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