डेस्क। हज (Hajj) इस्लाम धर्म के पांच पवित्र स्तंभों में से एक है, जिसे हर मुसलमान पर जिंदगी में एक बार करना फर्ज माना गया है। हर साल दुनिया भर से लाखों मुसलमान (Muslims) सऊदी अरब (Saudi Arabia) के मक्का शरीफ पहुंचते हैं, ताकि खुदा के घर काबा का दीदार कर सकें। हज की यह यात्रा एक तय समय पर होती है और इसकी हर रस्म का अपना एक गहरा महत्व है।
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हज (Hajj) कुल 5 से 6 दिनों का होता है और यह 8वीं जिल-हिज्जा से 13वीं जिल-हिज्जा तक मनाया जाता है। इसमें कई तरह की इस्लामिक चीजें की जाती हैं। हज के पहले दिन ‘तवाफ’ होता है। इसमें हाजी काबा ने के चारों तरफ 7 बार उल्टी दिशा में घूमते हैं। फिर मक्का से मिना की ओर रवाना होते हैं। तवाफ के बाद मुसलमान (Muslims) मैदान ए अराफात मे इकट्ठा होकर इबादत करते हैं।

मान्यता है कि इसी दिन पैगंबर मुहम्मद साहब ने अपनी अंतिम तकरीर दी थी। फिर हज यात्री मुजदलिफा पहुंचते हैं और यहीं रात बिताते हैं। तीसरे दिन रमी अल-जमरात (शैतान को पत्थर मारना) होता है। यह हज (Hajj) तीर्थयात्रियों के लिए एक विशेष धार्मिक अनुष्ठान होता है। फिर हज यात्री कुर्बानी देने की तैयार करते हैं।
इसके बाद हज (Hajj) में बाल मुंडवाने की प्रक्रिया होती है। पुरुष अपने पूरे बाल मुंडवाते हैं और महिलाएं बालों को छोटा कराती है। फिर वापिस मक्का लौटकर ‘तवाफ अल-इफादा’ किया जाता है। इसके बाद हज यात्री मक्का से विदा लेने से पहले आखिरी बार काबा के चक्कर लगाते हैं, जिसे तवाफ अल-विदा कहा जाता है। इस रस्म के साथ हज यात्रा पूरी होती है।
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