नई दिल्ली। चांद (moon) पर एक बार फिर तिरंगा लहराने की तैयारी है। भारत सरकार ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के चंद्रयान-5 मिशन (Chandrayaan-5) को हरी झंडी दे दी है। इसरो चेयरमैन वी. नारायणन ने खुद इसकी जानकारी दी है। चंद्रयान-5 मिशन जापान के सहयोग से किया जाएगा। इसे लूनर पोलर एक्स्पोरेशन यानी ल्यूपेक्स (LUPEX) मिशन नाम दिया गया है।
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इस मिशन की सबसे खास बात होगी इसका 250 किलोग्राम का रोवर, जो कि चंद्रयान के प्रज्ञान रोवर (Pragyan rover) के मुकाबले 10 गुना भारी होगा। इस भारी वजन की वजह होगी रोवर में मौजूद अत्याधुनिक और ज्यादा से ज्यादा तकनीक की मौजूदगी, जो कि चंद्रयान-5 (Chandrayaan-5) मिशन को दक्षिण ध्रुव की स्टडी के लिए अहम बना देगा।
इतना ही नहीं भारी रोवर की वजह से भारत की तरफ से बनाया जा रहा लैंडर का वजन भी भारी रखा जाएगा। जहां चंद्रयान-3 के लैंडर का वजन 2 टन से थोड़ा कम रखा गया था, वहीं चंद्रयान-5 (Chandrayaan-5) के लैंडर का वजन करीब 26 टन रखा जा सकता है। दरअसल लैंडर के हल्के रहने पर इसके ऊबड़-खाबड़ सतह पर ठीक से न लैंड होने की आशंका रहती है। लेकिन भारी वजन की वजह से लैंडिंग में संतुलन बना रहेगा।

इतना ही नहीं भारी लैंडर सिस्टम को बेहतर थर्मल सिस्टम से लैस किया जाएगा, जो कि दक्षिणी ध्रुव के दिन के बेहद गर्म 127 डिग्री सेल्सियस तापमान और रात के बेहद ठंडे तापमान माइनस 173 डिग्री सेल्सियस में भी पूरे मिशन को सुरक्षित रख सकेगा। इसका मतलब यह होगा कि चंद्रयान-5 (Chandrayaan-5) मिशन सिर्फ दक्षिणी ध्रुव पर सूर्य की रोशनी पड़ने के दौरान ही काम नहीं करेगा बल्कि अंधेरे और भीषण ठंड के अगले 14 दिनों में भी भारत-जापान का साझा मिशन अहम जानकारियां जुटाता रहेगा। गौरतलब है कि चांद पर इंसान को भेजने का कारनामा अब तक सिर्फ अमेरिका ही कर पाया है। फिलहाल चंद्रयान-5 मिशन भारत के चांद पर मानव मिशन की संभावनाओं के लिए मील का पत्थर साबित होगा।
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