डेस्क। अमेरिका में नौकरी करने के लिए सिर्फ डिग्री या एक्सपीरियंस काफी नहीं होता, वहां काम करने के लिए एक खास वीजा चाहिए, जिसे H-1B वीजा कहा जाता है। ये वीजा खास तौर पर हाई स्किल्ड वर्कर्स के लिए बनाया गया है जैसे कि IT, इंजीनियरिंग, हेल्थकेयर और साइंस के फील्ड में काम करने वाले लोग।
यह भी पढ़ें-क्या होता है और किन लोगों को मिलता है H1B वीजा?
हाल ही में अमेरिकी सरकार, खासकर पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आदेश के बाद इसमें एक बड़ा बदलाव किया गया है। इस बदलाव में H-1B वीजा की फीस अब कई गुना बढ़ा दी गई है। जहां पहले H-1B वीजा के लिए लगभग 5 लाख तक खर्च आता था। वहीं अब नई फीस 88 लाख कर दी गई है। यह नई फीस 21 सितंबर से लागू हो गई है।
बता दें एच-1बी कार्यक्रम की शुरुआत 1990 में हुई थी। इसे अमेरिका के आव्रजन अधिनियम के तहत बनाया गया था। अमेरिका की सरकार हर साल विभिन्न कंपनियों को 65-85 हजार एच-1बी वीजा उपलब्ध कराती है, जिनकी मदद से कंपनियां विदेशों से कुशल कामगारों को नौकरी दे सकती हैं। इनके अतिरिक्त एडवांस डिग्रीधारकों के लिए अमेरिकी सरकार की ओर से 20 हजार अतिरिक्त वीजा कंपनियों को दिए जाते हैं।

यह वीजा तीन साल के लिए मान्य होता है और इसे अगले तीन वर्षों के लिए रिन्यू कराया जा सकता है। H-1B वीजा पाने के लिएकंपनी का स्पॉन्सर करना जरूरी है यानी कोई अमेरिकी कंपनी आपके नाम से आवेदन करेगी। इसके अलावा आपके पास खास टेक्निकल या प्रोफेशनल स्किल होनी चाहिए। साथ ही सभी आवेदनों में से कंप्यूटर के जरिए रैंडम चयन होता है। उसके बाद इंटरव्यू और वीजा प्रोसेसिंग होती है। H-1B वीजा से लोग बाद में स्थाई नागरिकता के लिए भी अप्लाई कर सकते हैं।
Tag: #nextindiatimes #H1Bvisa #DonaldTrump