डेस्क। खुला आसमान, तेज रफ्तार विमान, पायलट (pilot) की मोटी सैलरी और दुनिया घूमने का मौका, इस करियर (career) की चमक हर किसी को आकर्षित करती है। लेकिन पायलट बनना सिर्फ एक ग्लैमरस सपना नहीं, यह एक बेहद टेक्निकल और जिम्मेदारी भरा पेशा है, जिसकी ट्रेनिंग (training) मेहनत, समय और पैसे – तीनों की मांग करती है। तो अगर आप भी आसमान को अपना करियर बनाना चाहते हैं, तो यहां जानिए पायलट बनने की फीस।
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भारत में पायलट (pilot) ट्रेनिंग की कुल लागत संस्थान, लोकेशन और फ्लाइंग घंटे के आधार पर अलग-अलग हो सकती है। लेकिन औसतन एक छात्र को 35 लाख से 55 लाख रुपये या 1 करोड़ तक भी खर्च करने पड़ते हैं। कुछ नामी संस्थानों में यह लागत 60 लाख रुपये तक भी पहुंच सकती है। बड़ी संख्या में छात्र एजुकेशन लोन लेकर पायलट (pilot) ट्रेनिंग करते हैं। कई बैंकों और NBFCs की ओर से एविएशन कोर्स के लिए लोन दिए जाते हैं, जो 7-12% ब्याज दर पर होते हैं। कुछ प्राइवेट संस्थान अपने स्तर पर कैडेट प्रोग्राम या फाइनेंस स्कीम भी ऑफर करते हैं।

भारत में पायलट बनने के लिए दो मुख्य रास्ते होते हैं:
- कॉमर्शियल पायलट लाइसेंस (CPL) के लिए प्रशिक्षण
- 2.भारतीय वायुसेना (IAF) के माध्यम से
पायलट (pilot) कोर्स में दाखिला लेने के लिए उम्मीदवार को कम से कम कक्षा 12वीं साइंस स्ट्रीम (फिजिक्स, कैमिस्ट्री और मैथ्स) से पास होना जरूरी है। कुछ कोर्सेस कॉमर्स स्ट्रीम वालों के लिए भी खुले होते हैं। CPL के लिए कम से कम 200 घंटे की फ्लाइंग ट्रेनिंग (हवाई जहाज उड़ाने का कुल समय) जरूरी होता है। एक अनुमान के मुताबिक, पायलट बनने के बाद शुरुआती सैलरी 4 लाख प्रति वर्ष से शुरू होती है, जो अनुभव के साथ बढ़कर 10 लाख प्रति वर्ष या उससे अधिक तक जा सकती है। इंटरनेशनल एयरलाइंस में यह पैकेज और भी ज्यादा हो सकता है।
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