नई दिल्ली। भारत पाकिस्तान (India and Pakistan) के बीच पिछले कुछ दिनों से लगातार तनाव की स्थिति बनी हुई है। वहीं शनिवार शाम को खबर सामने आई है कि भारत और पाकिस्तान के डीजीएमओ ने बात करके सीजफायर (ceasefire) पर सहमति जताई है। इस खबर के बाद से हर किसी के मन में ये सवाल उठ रहा है कि कौन होते हैं DGMO?
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भारतीय सेना (Indian Army) का एक सीनियर लेफ्टिनेंट जनरल 3-स्टार रैंक का अधिकारी DGMO होता है। इनका काम सेना के बड़े ऑपरेशन की प्लानिंग करना है। DGMO सीधे सेना प्रमुख (Army Chief) को रिपोर्ट करते हैं और सेना, नौसेना और वायुसेना के बीच तालमेल बैठाते हैं। भारतीय सेना में डीजीएमओ की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होती है और इनका काम युद्ध, आतंकवाद के खिलाफ ऑपरेशंस और शांति मिशनों की रणनीति बनाना होता है।

साथ ही लाइन ऑफ कंट्रोल (LOC) पर तनाव कम करना, गोलीबारी रुकवाना, सैन्य खुफिया जानकारियों को समझना और सेना को तैयार रखना भी डीजीएमओ के मुख्य कार्यों में से एक है। पहलगाम हमले (Pahalgam attack) के जवाब में भारत ने जब पाकिस्तान और पीओके में ‘Operation Sindoor’ किया था तब DGMO ने ही पाकिस्तानी DGMO से बात कर तनाव को कम करने में अहम भूमिका निभाई थी।
भारतीय सेना (Indian Army) में लेफ्टिनेंट जनरल के लिए 7वें वेतन आयोग के हिसाब से बेसिक सैलरी ₹1,82,200 से ₹2,24,100 प्रति माह तक मिलती है। इतना ही नहीं, DGMO को अन्य कई तरह के भत्ते भी मिलते हैं। कुल मिलाकर इनकी सैलरी ₹2.5 लाख से लेकर ₹3 लाख प्रति माह तक होती है। इसके अलावा घर, मेडिकल सुविधाएं आदि मिलती है।
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