नई दिल्ली। देश में वोटर लिस्ट रिवीजन को लेकर चुनाव आयोग फेज 2 शुरू करने जा रहा है। दरअसल भारत निर्वाचन आयोग ने देश के 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में SIR यानी स्पेशल इंटेंसिव रिविजन शुरू करने का ऐलान कर दिया है। एक राज्य में विधानसभा चुनाव करवाना विभिन्न लागतों से जुड़ा है- मतदान केंद्र, अधिकारी व कर्मचारी रीलोकेशन, सुरक्षा, ईवीएम-वीवीपैट, परिवहन, प्रचार आदि।
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2009 के लोकसभा चुनाव के लिए राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा लगाए गए खर्च के लिए अनुमानित मांग 1,114.35 करोड़ रुपये थी। यह सिर्फ एक केंद्रीय प्रायोजन वाली राशि थी और राज्य द्वारा खर्च को शामिल नहीं करता है। दूसरी रिपोर्ट में बताया गया कि 2019 के लोकसभा चुनावों में भारत में मतदान प्रति वोट करीब 700 रुपये लगे, अर्थ यह निकलता है कि जिस राज्य में मतदान बहुत ज्यादा हों, वहां खर्च लाखों वोटर्स के लिए बड़ी राशि होगी।

SIR एक बहुत ही विस्तृत प्रक्रिया है जिसमें मतदाता सूची की गहन समीक्षा, घर-घर सत्यापन, पुराने मतदाताओं की जानकारी अपडेट करना, फर्जी प्रविष्टियों को हटाना आदि शामिल हो सकते हैं। प्रत्येक राज्य की आबादी, मतदाताओं की संख्या, भौगोलिक चुनौतियां (जैसे पहाड़ी, द्वीप, आदिवासी क्षेत्र), मतदान केंद्रों की संख्या, प्रशासन एवं कर्मियों की संख्या आदि बहुत भिन्न-भिन्न होते हैं। इसलिए सभी राज्यों में खर्च एक-सा कहना उचित नहीं होगा।
ECI या संबंधित राज्य चुनाव आयोग ने वर्तमान में SIR-प्रक्रिया के लिए अलग-से बजट विस्तार नहीं किया है जो सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हो। मान लें कि एक राज्य में मतदाता संख्या बहुत अधिक है, वहां कई बूथ-स्थिति हैं, दूरदराज इलाके हैं। ऐसे में बड़ी-संख्या में सत्यापन एवं घर-घर सर्वे किया जाना है तो उस राज्य में SIR-प्रक्रिया का खर्च सैकड़ों करोड़ रुपये तक हो सकता है।
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