डेस्क। जब भी आप कोई ज्वैलरी खरीदने जाते है, तो सबसे पहले सवाल यही होता है कि धातु कितनी शुद्ध है। आमतौर पर लोग जानते हैं कि सोने की शुद्धता कैरेट में मापी जाती है लेकिन बहुत कम लोगों को यह जानकारी होती है कि चांदी (silver) की शुद्धता किस पैमाने पर तय होती है। चलिए हम आपको इस बारे में जानकारी देते हैं।
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चांदी की शुद्धता कैरेट में नहीं, बल्कि फाइननेस नंबर या हॉलमार्क से मापी जाती है। फाइननेस का अर्थ है 1000 में से कितने भाग शुद्ध चांदी के हैं। जैसे कि 999 फाइननेस में 99.9% शुद्ध चांदी, 958 फाइननेस में 95.8% शुद्ध चांदी, 925 फाइननेस में 92.5% शुद्ध चांदी (जिसे स्टर्लिंग सिल्वर कहते हैं) रहती है। 900, 835 और 800 फाइननेस वाली चांदी भी बाजार में मिलती है।
भारत में ज्वैलरी और बर्तनों के लिए सबसे ज्यादा उपयोग की जाने वाली चांदी 925 फाइननेस वाली होती है। इसमें 92.5% शुद्ध चांदी और 7.5% अन्य धातुएं (जैसे तांबा) मिलाए जाते हैं ताकि धातु मजबूत और टिकाऊ बन सके। भारत में ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (BIS) हॉलमार्किंग को अनिवार्य करता है। चांदी पर हॉलमार्क की मुहर इस बात की गारंटी होती है कि धातु उतनी ही शुद्ध है जितना उस पर लिखा है।

चुम्बक के जरिए नकली चांदी की पहचान कर सकते हैं। शुद्ध चांदी कभी भी मैग्नेट की ओर आकर्षित नहीं होता। अगर आपकी चांदी की वस्तु या गहना चम्बुक की ओर आकर्षित होता है, तो उसमें अन्य धातुओं का मिश्रण ज्यादा हो सकता है। कई लोग बर्फ से भी चांदी की शुद्धता की जांच करते हैं। चांदी को गुड कंडक्टर माना जाता है। अगर आप इस पर बर्फ रखते हैं, तो ये तुरंत पिघलना शुरू हो जाएगा।
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