डेस्क। हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के कुल्लू में अचानक बादल फटने से बाढ़ जैसी स्थिति आ गई। यह घटना सैंज घाटी में हुई। IMD ने पहले ही भारी बारिश की चेतावनी दी थी। इस बाढ़ में कई पेड़ भी बहते हुए दिखाई दिए। बादल का फटना (Cloud burst) एक खतरनाक प्राकृतिक आपदा है। यह अचानक होती है और भारी नुकसान पहुंचाती है। भारत में यह जून से दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान होती है। इसका अनुमान लगाना मुश्किल है।
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यह भारी बारिश की वजह से होता है। इससे अचानक बाढ़ और कटाव होता है। पहाड़ों में अक्सर बादल फटने (Cloud burst) की घटनाएं होती हैं। जब गर्म हवा जमीन से बादलों की ओर उठती है और बारिश की बूंदों को ऊपर ले जाती है। इससे बारिश ठीक से नहीं हो पाती और बादलों में बहुत ज्यादा नमी जमा हो जाती है। इनके भार की वजह से बादलों का घनत्व बढ़ जाता है, इसलिए भारी बारिश होती है।
ऐसा माना जाता है कि जहां बादल फटता है, वहां पर 100 लीटर प्रति घंटे के हिसाब से बारिश होती है। बादल (Cloud burst) तब फटते हैं, जब उनमें भारी मात्रा में नमी या पानी होता है और उनके रास्ते में अचानक कोई बाधा आ जाती है, तो वे फट जाते हैं। इसी घटना को बादल का फटना कहा जाता है। पानी को नीचे गिराने की ताकत हवा के ऊपर की ओर जाने से मिलती है।

फटने वाले बादल (Cloud burst) को क्युमुलोनिम्बस बादल कहते हैं। आमतौर पर बादल फटने की घटना समुद्र तल से 1000 से 2500 मीटर की ऊंचाई पर होती है। वहीं क्युमुलोनिम्बस बादल भारी बारिश के लिए जिम्मेदार होते हैं। बादल फटने में पानी की छोटी बूंदें आपस में मिलकर बड़ी हो जाती हैं। इसे लैंगमुइर प्रेसिपिटेशन प्रोसेस कहते हैं। इसमें बारिश की बड़ी बूंदें छोटी बूंदों के साथ मिलकर धीरे-धीरे नीचे गिरती हैं।
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