डेस्क। नासा (NASA) के अंतरिक्ष यात्री (astronauts) सुनीता विलियम्स (Sunita Williams) और बुच विल्मोर अंतरिक्ष में लंबे समय तक रहने के बाद आखिरकार पृथ्वी पर लौटने की तैयारी कर रहे हैं। वे स्पेसएक्स के क्रू ड्रैगन कैप्सूल में सवार होकर वापस यात्रा करेंगे और बताया जा रहा है वो अगले हफ्ते तक धरती (Earth) पर वापसी कर सकते हैं।
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वैसे तो आप सभी जानते हैं कि जब पृथ्वी (Earth) से चंद्रमा की तरफ कोई अंतरिक्ष यान भेजा जाता है तो उसे किसी स्पेस स्टेशन से लॉन्च किया जाता है। बिना लांचर के अंतरिक्ष यान धरती से उड़ान नहीं भर सकता। सवाल यह है कि चंद्रमा पर उतरने के बाद अंतरिक्ष यान धरती पर वापस कैसे आता है क्योंकि चंद्रमा पर तो कोई स्पेस सेंटर अथवा स्पेसक्राफ्ट लांचर (spacecraft launcher) होता ही नहीं।
बता दें कि चंद्रमा पर कोई स्पेस सेंटर अथवा स्पेसक्राफ्ट लॉन्चर नहीं होता है। स्पेसक्राफ्ट को लॉन्च करने के लिए पूरी टीम तैयारी करती है। पहले उसे रॉकेट के साथ असेंबल किया जाता है, उसके बाद लॉन्चिंग पैड से लॉन्च किया जाता है। अब सवाल ये है कि चांद से धरती पर रॉकेट कैसे वापस आता है। बता दें कि कोई भी चीज पृथ्वी से अंतरिक्ष में तभी जा सकती है, जब वो पृथ्वी (Earth) के गुरूत्वाकर्षण क्षेत्र को पार कर पाती है। विज्ञान के नियमों के मुताबिक कोई भी वस्तु पृथ्वी के गुरूत्वाकर्षण को तभी पार कर सकती है, जब उसका न्यूनतम वेग 11.2 किलोमीटर प्रति सेकंड होता है। इसीलिए स्पेसक्राफ्ट को लॉन्च पैड से लॉन्च किया जाता है, जिससे यह सफलतापूर्वक पृथ्वी की कक्षा से बाहर निकलकर अंतरिक्ष (space) में प्रवेश कर सकता है।

अब आपको अगर लगता है कि यह छत से जमीन (Earth) पर कूदने जैसा होता है, तो आप गलत हैं। यह तकनीक पलायन वेग (escape velocity) पर निर्भर है। पृथ्वी का पलायन वेग 11.2 किलोमीटर प्रति सेकंड होता है जबकि चंद्रमा का पलायन वेग केवल 2.4 किलोमीटर प्रति सेकंड है। वहीं अंतरिक्ष यान में उपस्थित इंजन इतना प्रबल होता है कि स्पेसक्राफ्ट को आसानी से 2.4 किलोमीटर प्रति सेकंड की गति तक पहुंचा सकता है और अंतरिक्ष यान को आसानी से पृथ्वी पर वापस लौटने में सहायता करता है।
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