डेस्क। उत्तराखंड के उत्तरकाशी ज़िले में प्रकृति ने एक बार फिर रौद्र रूप दिखाया है। धराली गांव में बादल फटने के बाद आई भीषण बाढ़ ने बर्बादी की तस्वीरें छोड़ दीं। जिसने भी खीरगंगा (Kheerganga) नदी का विकराल रूप देखा, उसकी रूह कांप गई। देखते ही देखते गांव मलबे में दब गया, कई मकान, होटल और होमस्टे ढह गए और लोगों का जीवन उजाड़ गया।
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इस लेख में आपको बताते हैं कि खीरगंगा (Kheerganga) इस नदी का नाम क्यों पड़ा? खीरगंगा नदी भागीरथी नदी की एक सहायक नदी है। ये उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में बहती है। श्रीकंठ पर्वत शिखर से निकलने वाली खीर गंगा अपनी विनाशकारी बाढ़ के लिए जानी जाती है। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार इस नदी का पानी इतना स्वच्छ और शुद्ध है कि यह दूध या खीर जैसा दिखता है। यही वजह है कि इसे खीरगंगा नाम दिया गया।

हिंदू पौराणिक कथाओं में भी खीरगंगा का विशेष महत्व है। कहा जाता है कि भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय ने यहां तपस्या की थी। माता पार्वती ने कार्तिकेय के लिए दूध की एक धारा प्रवाहित की थी, जो खीर के समान थी। बाद में इस धारा को पानी में बदल दिया गया ताकि इसका दुरुपयोग न हो। आज भी इस नदी के पास गर्म पानी के कुंड हैं। स्थानीय मान्यता है कि इस नदी में स्नान करने से कई तरह की बीमारियों में राहत मिलती है।
यह Kheerganga नदी पहले भी कई बार अपना विनाशकारी रूप दिखा चुकी है। 19वीं सदी में खीरगंगा में आई भयानक बाढ़ ने 206 मंदिरों को ध्वस्त कर दिया था। हाल के वर्षों में भी 2013 और 2018 में इस नदी में उफान आया था, जिससे इलाके को भारी नुकसान हुआ।
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