डेस्क। सनातन धर्म में तीज-त्योहारों और व्रत पूजन का विशेष महत्व है। होली-दिवाली और जन्माष्टमी की तरह हल षष्ठी (Halashshti) का व्रत भी इनमें से एक है। इसे हल छठ, हर छठ या ललही छठ व्रत के नाम से भी जानते हैं। यह व्रत भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलराम जी के लिए रखा जाता है।
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इस साल हल षष्ठी (Halashshti) 14 अगस्त को है। पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि 14 अगस्त को प्रात:काल में 4 बजकर 23 मिनट से प्रारंभ है, जो 15 अगस्त शुक्रवार को मध्य रात्रि 2 बजकर 7 मिनट तक मान्य रहेगी। बता दें कि द्वापर युग में भाद्रपद कृष्ण षष्ठी तिथि को भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम जी का जन्म हुआ था। इसलिए इस तिथि को बलराम जयंती भी कहते हैं। हल षष्ठी (Halashshti) के दिन बलराम जी और छठ मैय्या की पूजा करने का विधान है।

इस दिन की एक अनोखी परंपरा ये है कि पूजा में गाय के दूध का उपयोग नहीं किया जाता। इसके स्थान पर भैंस का दूध प्रयोग होता है। महिलाएं भैंस के दूध से बनी चाय और दही का सेवन करती हैं। इसके अलावा ‘पशहर चावल’ का भोग लगाया जाता है, जो इस पर्व का खास व्यंजन है।
इसके अलावा इस दिन माताएं और बहनें हल से जोती गई भूमि पर नहीं जातीं और खेतों में कोई कार्य नहीं करतीं। हल षष्ठी (Halashshti) पर्व पर महिलाएं निर्जला व्रत रखकर संतान की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। इस दिन हल से जुते खेत का अनाज नहीं खाया जाता। वहीं,कुछ क्षेत्रों में इस दिन भगवान शिव के परिवार (शिव, पार्वती, गणेश, कार्तिकेय) की भी पूजा की जाती है।
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