महाराष्ट्र। महाराष्ट्र के एक गांव में चार दशक से अधिक समय से एक अनोखा गणेश उत्सव मनाया जा रहा है, जिसमें एक मस्जिद में गणपति बप्पा (Ganpati Bappa) की मूर्ति स्थापित की जाती है। इस दौरान बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग भी गणेश उत्सव का हिस्सा बनते हैं।
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गणेश मंडल के संस्थापक अशोक पाटिल बताते हैं कि मस्जिद में बप्पा (Ganpati Bappa) की मूर्ति स्थापित करने की परंपरा साल 1980 में शुरू हुई थी। भारी बारिश के चलते गणपति की मूर्ति को मस्जिद में स्थापित करना पड़ा था और तभी से यह अनूठा उत्सव यहां लगातार मनाया जा रहा है। गांव के झुंझार चौक पर न्यू गणेश तरुण मंडल की स्थापना भी उसी साल हुई थी। हर साल मूर्ति मस्जिद में 10 दिनों तक विराजमान रहती है और अनंत चतुर्दशी पर विसर्जित की जाती है।

करीब 15 हजार की आबादी वाले गोटखिंडी गांव में पिछले 40 साल से अधिक समय से गणेशोत्सव मस्जिद परिसर में मनाया जा रहा है। मुस्लिम समुदाय प्रसाद बनाने से लेकर पूजा-अर्चना और तैयारियों तक में सक्रिय सहयोग करते हैं। एक बार जब बकरीद और गणेश चतुर्थी एक साथ पड़े थे, तो मुस्लिम समुदाय ने केवल नमाज अदा करके त्योहार मनाया था।
इस दौरान उन्होंने कुर्बानी नहीं की थी। इतना ही नहीं, हिंदू त्योहारों के दौरान वे नॉनवेज से भी परहेज करते हैं। आगे पाटिल कहते हैं कि पूरे देश को यहां के सामाजिक और धार्मिक सद्भाव के वातावरण से प्रेरणा लेनी चाहिए। हर साल गणपति (Ganpati Bappa) की प्राण प्रतिष्ठा के लिए स्थानीय पुलिस और तहसीलदार को आमंत्रित किया जाता है। इस साल भी 10 दिवसीय उत्सव 27 अगस्त से धूमधाम के साथ आरंभ हुआ।
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