एजुकेशन डेस्क। आज के समय में छात्र (toppers) और पेशेवर अपनी उत्पादकता बढ़ाने के लिए 90/20 अध्ययन विधि का इस्तेमाल कर रहे हैं। इस तकनीक में 90 मिनट तक पूरी तरह ध्यान केंद्रित करके काम किया जाता है और उसके बाद 20 मिनट का ब्रेक लिया जाता है। यह तरीका वैज्ञानिक रूप से सिद्ध है और मस्तिष्क की प्राकृतिक गतिविधि चक्रों यानी अल्ट्राडियन रिद्म्स पर आधारित है।
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अल्ट्राडियन रिद्म्स दिमाग की वह लय है जिसमें उच्च और निम्न मानसिक गतिविधि के दौर दिनभर दोहराए जाते हैं। प्रत्येक चक्र लगभग 90 से 120 मिनट का होता है। इस दौरान मस्तिष्क उच्च फोकस स्थिति में काम करता है और उसके बाद 20 मिनट का रिकवरी फेज आता है, जिसमें मस्तिष्क की गति धीमी हो जाती है और थकान कम होती है।
मनोवैज्ञानिक एंडर्स एरिकसन ने शीर्ष वायलिनवादकों के अध्ययन में पाया कि वे 90 मिनट अभ्यास और उसके बाद विश्राम की प्रक्रिया अपनाते थे। इस तरह के काम के ढांचे में पेशेवरों ने 40% अधिक उत्पादकता और 50% कम मानसिक थकान दर्ज की। 90/20 विधि में महत्वपूर्ण काम को उच्च फोकस वाले समय में करना चाहिए और 20 मिनट के ब्रेक में मस्तिष्क और शरीर को आराम देना चाहिए।

इस दौरान हल्की सैर, स्ट्रेचिंग या प्रकृति में समय बिताना लाभदायक होता है। स्क्रीन या काम से जुड़ी गतिविधियों से ब्रेक में बचना चाहिए। जंभाई लेना मानसिक थकान की शुरुआती चेतावनी है। कम ऊर्जा के दौरान बेचैनी और अस्थिरता महसूस हो सकती है। ध्यान बनाए रखने में कठिनाई और गलतियों की संख्या बढ़ना भी संकेत है कि ब्रेक की जरूरत है। छात्रों और पेशेवरों को अपनी ऊर्जा के पैटर्न को समझकर अध्ययन या काम के ब्लॉक निर्धारित करने चाहिए।
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