लाइफस्टाइल डेस्क। अगर आप कभी शिमला (Shimla), मसूरी, मनाली या नैनीताल (Nainital) जैसे किसी हिल स्टेशन पर गए हों तो आपने एक चीज जरूर देखी होगी- वहां की मशहूर मॉल रोड (Mall Road)। ये सड़कें सिर्फ बाजार नहीं होतीं बल्कि एक ऐसा एक्सपीरिएंस होती हैं जिसे हर टूरिस्ट (tourist) जीना चाहता है लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इन सड़कों को मॉल रोड ही क्यों कहा जाता है और ये परंपरा आखिर शुरू कहां से हुई?
यह भी पढ़ें-क्या है शिमला समझौता, जिसे पाक ने किया रद्द; LoC पर इसका क्या होगा असर?
चलिए आज आपको मॉल रोड के पीछे की दिलचस्प कहानी (History of Mall Road In Hill Stations) बताते हैं। आज हम मॉल का मतलब बड़े-बड़े शॉपिंग कॉम्प्लेक्स से लगाते हैं, लेकिन असल में ‘मॉल’ शब्द का मतलब पहले कुछ और ही हुआ करता था। ब्रिटिश शासन (British rule) के दौरान मॉल शब्द का इस्तेमाल एक ऐसी खुले और चौड़े रास्ते के लिए होता था जो खासतौर पर टहलने और सामाजिक मेलजोल के लिए बनाई जाती थीं।

18वीं और 19वीं शताब्दी में जब भारत में ब्रिटिश शासन था तो गर्मियों के मौसम में अंग्रेज अधिकारी और उनके परिवार पहाड़ों का रुख करते थे। वो दिल्ली और कोलकाता की चिलचिलाती गर्मी से बचने के लिए शिमला, मसूरी और दार्जिलिंग जैसे हिल स्टेशनों पर जाते थे। वहां एक ऐसी मुख्य सड़क बनाई जाती थी, जहां शाम के समय लोग टहला करते, बातचीत करते और सामाजिक जीवन का आनंद लेते। यही सड़कें बाद में मॉल रोड (Mall Road) कहलाने लगीं।
इन सड़कों (Mall Road) का अस्तित्व आज भी हमें ब्रिटिश काल की सामाजिक संरचना की याद दिलाता है लेकिन अब ये भारत की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा बन चुकी हैं। हिल स्टेशनों की चहल-पहल, बच्चों की हंसी, हाथ में गर्म चाय और ढेरों दुकानों की रौनक- सब कुछ समेटे ये मॉल रोड आज भी हर दिल में खास जगह बनाए हुए हैं।
Tag: #nextindiatimes #MallRoad #tourist #Nainital