डेस्क। अक्सर एंबेसडर और हाई कमिश्नर जैसे शब्दों को आपने सुना होगा। दरअसल विदेशों में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए ऐसे अधिकारियों की जरूरत होती है। चाहे कोई फॉरेन पॉलिसी से जुड़ा काम हो या फिर कोई और जिम्मेदारी, भारत की तरफ से Embassy या High Commission ही इसे संभालते हैं। कहीं पर एम्बेसी होते हैं तो कुछ देशों में हाई कमीशन।
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एम्बेसी किसी देश का वो मुख्य दफ्तर होता है, जो किसी दूसरे देश की राजधानी में होता है। जैसे भारत की एम्बेसी अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन डीसी में है। इस ऑफिस का लीडर Ambassador यानी राजदूत होता है, जो अपने देश का प्रतिनिधत्व करता है। एम्बेसी दो देशों की सरकारों को आपस में बात कराने और जरूरी समझौते करवाने में मदद करते हैं। विदेश में रहने वाले अपने देश के लोगों की मदद करते हैं। जैसे नया पासपोर्ट बनवाना, वीजा की जानकारी देना। कोई मुश्किल आने पर मदद पहुंचाना।

एंबेसी और हाई कमीशन में फर्क सिर्फ नाम का होता है। High Commission केवल उन देशों के बीच होती है जो कॉमनवेल्थ ग्रुप के सदस्य होते हैं। बता दें कि कॉमनवेल्थ ऐसे 56 देशों का समूह है, जो पहले British Empire का हिस्सा रहे हैं। भारत, ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया जैसे देश इसमें शामिल हैं। जब भारत और ब्रिटेन जैसे दो कॉमनवेल्थ देश एक-दूसरे के यहां दफ्तर बनाते हैं, तो उसे Embassy नहीं, High Commission कहा जाता है।
हाई कमीशन अपने देश की सरकार का प्रतिनिधित्व करती है। अपने नागरिकों को पासपोर्ट, वीजा और मुश्किल घड़ी में मदद पहुंचाने, साथ ही दोनों देशों के बीच बिजनेस, एजुकेशन को बढ़ाने, स्कॉलरशिप और स्टूडेंट एक्सचेंज जैसे प्रोग्राम चलाने का काम करती है।
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