डेस्क। गुरुओं के किए गए अतुलनीय कार्य के सम्मान में प्रत्येक वर्ष Teacher’s Day का आयोजन किया जाता है। इस दिन सभी संस्थानों में बच्चे अलग-अलग प्रकार के कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। ज्यादातर लोग मान लेते हैं कि जो पढ़ाता है वही शिक्षक (Teacher), गुरु या आचार्य कहलाता है लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है।
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शिक्षक:
आचार्य, शिक्षक (Teacher) और गुरू इन तीनों के बीच के अंतर को समझने के क्रम में सबसे पहले जानें शिक्षक का क्या होता है मतलब? आपको बता दें कि शिक्षक वह होता है जो किसी विषय विशेष का ज्ञान देता है। उनका काम करने का क्षेत्र सीमित होता है। साथ ही वे एक तय पाठ्यक्रम के अनुसार पढ़ाते हैं। वे स्कूल, कॉलेज या किसी कोचिंग संस्थान में गणित, विज्ञान, इतिहास जैसे विषयों को पढ़ाते हैं। उनका मुख्य उद्देश्य जानकारी देना और परीक्षा में सफलता दिलाना होता है।

गुरु:
गुरु न केवल किताबी ज्ञान देते बल्कि जीवन का सही मार्ग भी दिखाते हैं। उनका संबंध शिष्य के साथ गहरा और व्यक्तिगत होता है। वे शिष्य के चरित्र निर्माण, नैतिक मूल्यों और आध्यात्मिक विकास पर ध्यान केंद्रित करते हैं। गुरु के पास किसी विषय की विशेषज्ञता हो सकती है, लेकिन उनका असली काम जीवन की चुनौतियों का सामना करना सिखाना और सही-गलत के बीच अतंर कराना है।
आचार्य:
आचार्य वह होता है जो अपने आचरण से सिखाता है। वे सिर्फ ज्ञान नहीं देते, बल्कि अपने जीवन और व्यवहार से उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। उनके पास गहन शोध और अध्ययन का अनुभव होता है। आचार्य किसी विशेष परंपरा या दर्शन के विशेषज्ञ होते हैं और उस ज्ञान को आगे बढ़ाते हैं। वे हमें यह बताते हैं कि क्यों सीखना है।
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