नई दिल्ली। कल देर शाम पूरे देश में CAA लागू हो गया। जिसके बाद इसका कई लोगों ने समर्थन किया जबकि तमिलनाडु समेत कुछ हिस्सों में इसका विरोध भी हो रहा है। इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के तहत केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा अधिसूचित नियमों के कार्यान्वयन पर रोक लगाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।
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याचिका (petition) में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) ने कहा कि नागरिकता संशोधन नियम, 2024 (CAA) मनमाने हैं और केवल धार्मिक पहचान (religious identity) के आधार पर व्यक्तियों के एक वर्ग के पक्ष में अनुचित लाभ पैदा करते हैं, जो संविधान (Constitution) के अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन है।
इसमें कहा गया है कि सीएए (CAA) के प्रावधानों को चुनौती देने वाली लगभग 250 याचिकाएं शीर्ष अदालत के समक्ष लंबित हैं और अगर सीएए (CAA) को असंवैधानिक ठहराया जाता है, तो एक असामान्य स्थिति पैदा हो जाएगी। जिन लोगों को लागू कानून और नियमों के तहत नागरिकता (citizenship) मिल गई होगी, उनकी नागरिकता छिननी होगी। इसलिए जब तक अदालत मामले का फैसला नहीं कर लेती, तब तक सीएए (CAA) और लागू नियमों के कार्यान्वयन को स्थगित करना सभी के सर्वोत्तम हित में है।
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उल्लेखनीय है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA), 2019 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए गैर-मुस्लिम प्रवासियों (non-Muslim immigrants) को नागरिकता प्रदान करता है। नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) 2019 उन गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता (citizenship) प्रदान करता है, जो 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए थे।
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